देश

हार पर हार ने दी मायावती को टेंशन! बसपा के खिसकते जनाधार को पाने के लिए चला ये दांव

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी को चुनाव दर चुनाव मात मिल रही है और इसी का नतीजा है कि पार्टी का जनाधार खिसकता जा रहा है. विधानसभा चुनाव 2022 में महज एक सीट तक सिमट कर रह गई बसपा को निकाय चुनाव में भी मुंह की खानी पड़ी है. इस चुनाव में पार्टी का दलित-मुस्लिम समीकरण भी काम न आया. पश्चिमी यूपी में इसी समीकरण के दम पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अपने पैर जमाने की कोशिश करने के साथ मायावती के लिए खतरे की घंटी बजा दी है, जिसके बाद अब बसपा का लोकसभा चुनाव 2024 का मिशन भी खतरे में नजर आ रहा है. ऐसे में मायावती अपना खोया हुआ जनाधार हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई हैं.

निकाय चुनाव में बसपा की करारी हार

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने जब 10 सीटों पर जीत हासिल की थी, तो माना जा रहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा के सीटों की संख्या बढ़ेगी लेकिन हुआ इसके विपरीत, जहां पार्टी महज एक सीट पर जीत दर्ज सकी. यूपी विधानसभा चुनाव में दलित-ब्राह्मण समीकरण आजमाने के बाद निकाय चुनाव में बसपा ने दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर जोर दिया था. पार्टी ने 11 मेयर सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे लेकिन ये दांव भी फेल रहा और पार्टी के हाथ से जीती हुईं दो मेयर की सीटें भी फिसल गईं.

मुस्लिम बना रहे बसपा से दूरी

मायावती की मुश्किल ये रही है कि दलित वोटर्स पहले की तरह पार्टी के साथ नहीं खड़े हैं और मुस्लिम मतदाता भी बसपा से दूरी बना रहे हैं. ऐसे में मायावती को 2024 के महासमर में अकेले उतरने के विकल्प पर दोबारा सोचना पड़ सकता है. फिलहाल, वह किसी दल के साथ गठबंधन करेंगी या अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगी, इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.

ये भी पढ़ें: विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका! सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह से ममता बनर्जी ने बनाई दूरी

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद निकाय चुनाव में भी बसपा को करारी हार झेलनी पड़ी है. इसके बाद पार्टी के गिरते जनाधार ने बसपा के सांसदों के दोबारा चुनाव जीत पाने की संभावनाओं पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. लेकिन बसपा की राह में मुश्किलें यही नहीं हैं. भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए वह फिलहाल सपा की तरफ हाथ बढ़ाना नहीं चाहती हैं और कांग्रेस से भी उनकी दूरियां किसी से छिपी नहीं हैं.

‘वोट हमारा राज तुम्हारा’ के सहारे बसपा

ऐसे में हालिया चुनावों में करारी हार के बाद समीक्षा बैठक में मायावती ने नेताओं को संदेश दिया है कि ‘वोट हमारा राज तुम्हारा’ का अभियान गांव-गांव चलाया जाए और इसके जरिए पार्टी के परंपरागत वोटरों को जोड़ने की मुहिम चलाई जाए. मायावती इस अभियान के जरिए अब खोई हुई सियासी जमीन को हासिल करना चाहती हैं ताकि 2024 के चुनाव में बसपा मजबूती से खड़ी रहे. हालांकि, हार पर हार के बाद बसपा सुप्रीमो के लिए इसकी राह आसान नहीं नजर आ रही है.

भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

Recent Posts

Prayagraj Kumbh Mela: CM ने प्रोजेक्ट साइट पर जाकर देखा लेआउट प्लान, यात्रियों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं के बारे में ली जानकारी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने एयरपोर्ट पर तैयारियों का जायजा लिया. जनवरी के प्रथम सप्ताह तक…

22 mins ago

विनोद कांबली की बिगड़ी तबियत, ठाणे अस्पताल में कराया गया भर्ती

पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली की तबीयत अचानक खराब हो गई है. उनकी हालत काफी…

46 mins ago

मकोका मामले में AAP के विधायक नरेश बालियान की जमानत याचिका पर 4 जनवरी को होगी सुनवाई

मकोका मामले में गिरफ्तार आप विधायक नरेश बालियान की जमानत याचिका पर राऊज एवेन्यु कोर्ट…

51 mins ago

“इतना बड़ा मेला बसाना आसान नहीं, ये काम सिर्फ योगी सरकार ही कर सकती है”, अभिनेता संजय मिश्रा ने महाकुंभ को लेकर दिया बड़ा बयान

प्रख्यात फिल्म कलाकार संजय मिश्र सोमवार को संगम की सैर पर थे. उन्होंने महाकुम्भ की…

2 hours ago

दिल्ली पुलिस और शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को बम धमकी, साइबर हाइजीन और नशा-रोधी प्रशिक्षण में सशक्त बनाने के लिए मिलाया हाथ

इस कार्यक्रम में दिल्ली के ट्रांस यमुनावर्ती क्षेत्र से लगभग 247 शिक्षक शामिल हुए. इस…

2 hours ago

प्रयागराज के लिए आतिथ्य सेवा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने का अवसर है महाकुम्भः सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में समीक्षा बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में सभी से…

2 hours ago