EVM-VVPAT वेरिफिकेशन पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली. जिसपर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अदालत इस मामले पर तब सुनवाई कर रहा है, जब शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के पहले चरण कि वोटिंग होने वाली है. आखिर लोग तब वोट करने क्यों जाएंगे जबकि ईवीएम पर अदालत सुनवाई कर रहा है और तमाम सवाल ऐसे आ रहे हैं सोशल मीडिया पर, जैसे कुछ गड़बड़ी है. मसला लोगों के भरोसे का है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका काफी पहले दायर हुई थी. हमें भी पता है. सॉलिसिटर जनरल ने EVM को लेकर दायर पेटिशन पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं, याचिका दायर की जाती है. वहीं इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि ऐसा नहीं है. यह याचिका चुनाव के बहुत पहले दायर हुई थी. कुछ याचिकाएं जरूर अभी दायर हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोगों की ओर से दिया गया डेटा ठीक नहीं है और हमने 17a और 17c मिसमैच को लेकर पूछा है. वो आयोग की स्पष्टता को सुना है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटिंग और वीवीपैट पर्चियों से मिलान की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षो की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख. जस्टिस संजीव खन्ना व दीपांकर दत्ता की बेंच में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं.
SC ने प्रशांत भूषण से पूछा था कि अब आप क्या चाहते हैं?
वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि बैलेट पेपर से चुनाव हों, या फिलहाल 100 फीसदी VVPAT मिलान हो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं. आप चाहते हैं कि 60 करोड़ वोटों की गिनती हो
ADR व अन्य ने अपनी याचिका में SC से की है मांग. फिलहाल EVM-VVPAT की 100 फीसदी मिलान हो. या बैलेट पेपर से चुनाव कराने का निर्देश देने की मांग की है.
वकील निज़ामुद्दीन पाशा ने कहा ने कहा कि मतदाता गोपनीयता से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाता है. गोपनीयता के मेरे अधिकार से भी समझौता नहीं किया जा सकता है. यह जानने का मौलिक अधिकार मतदाता को है कि वोट किसे दिया गया. इसके अलावा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का अधिकार आदि. ये सभी मतदाताओं के अधिकार हैं और यह किसी और को प्रभावित नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ अपवादों के आधार पर सभी मौलिक अधिकारों में कटौती की जा सकती है।वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपीएट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती रहती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो मतदाता पर्ची कटते, गिरते या अन्य पर्ची कटती हुई आदि भी देख सके.
यह एक चुनावी प्रक्रिया है और इसमें पवित्रता होनी चाहिए
वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि अदालत इस चुनाव के लिए सुरक्षा उपायों पर विचार कर सकती है और अन्य मुद्दों पर बाद में विचार कर सकती है क्योंकि ऐसी याचिकाओं पर चुनाव के बहुत करीब निर्णय लिया जाता है। गिनती तुरंत की जाती है, जबकि इसके ऑडिट में समय लग सकता है। ऐसे में एक अलग ऑडिट होना चाहिए, जिससे गिनती प्रक्रिया में भी अधिक विश्वसनीयता आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि सबसे पहले आप बताएं कि मतदान की प्रक्रिया क्या है। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल के दौरान EVM में पाई गई अनियमितता का ज़िक्र किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मॉक ड्रिल के दौरान एक एक अतिरिक्त वोट BJP के पक्ष में पाया गया था। जस्टिस खन्ना ने चुनाव आयोग से कहा कि पूरी प्रक्रिया बताएं कि वीवीपीएट को कैसे कैलिब्रेट किया जाता है, किस चरण में उम्मीदवार प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए क्या तंत्र हैं कि कोई छेड़छाड़ न हो? चुनाव आयोग ने कहा कि याचिकाएं सिर्फ आशंका है, और कुछ नहीं है। वीवीपीेेएट सिर्फ एक प्रिटिंग मशीन है और सिंबल मशीन में अपलोड किए जाते हैं। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि यह एक चुनावी प्रक्रिया है और इसमें पवित्रता होनी चाहिए और इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
ईवीएम सिस्टम में तीन घटक होते हैं
जस्टिस खन्ना ने पूछा जो सिंबल अपलोड किया गया है वह किस यूनिट में अपलोड किया गया है। ईसीआई अधिकारी ने कहा कि ईवीएम सिस्टम में तीन घटक होते हैं। बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी। मतपत्र सिंबल को दबाने के लिए है, नियंत्रण इकाई डेटा संग्रहीत करती है और वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है। सिंबल सिर्फ कंप्रेस इमेज फॉर्मेट होता है। यह डेटा नहीं होता, यह इमेज का हिस्सा है। चुनाव आयोग ने कहा कि कंट्रोल यूनिट इसे प्रिंट करने के लिए VVPAT को कमांड देती है। यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और वीवीपैट के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है। प्रत्येक नियंत्रण इकाई में 4 एमबी मेमोरी होती है। मतदान के 4 दिन पहले, एक कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति में प्रक्रिया की जाँच की जाती है और इंजीनियर भी मौजूद होते हैं। जस्टिस खन्ना ने पूछा कि तो चुनाव से पहले उम्मीदवारों की उपस्थिति में आप वीवीपीएट की फ्लैश मेमोरी में छवियों को फीड कर रहे हैं। एक बार अपलोड होने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता क्योंकि यह किसी भी कंप्यूटर, लैपटॉप से कनेक्ट नहीं होता है।
चुनाव अधिकारी ने कहा, जी बिल्कुल।
जस्टिस खन्ना ने कहा जाहिर तौर पर छवि में एक फ़ाइल शामिल होगी? क्या आपने इसे कहीं भी बताया है?
अधिकारी ने कहा हां, यह FAQs में सार्वजनिक डोमेन में है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कितने एसएलयू बनाए गए?
अधिकारी ने कहा कि आम तौर पर एक निर्वाचन क्षेत्र में एक। मतदान समाप्त होने तक यह रिटर्निंग ऑफिसर की जिम्मेदारी में रखा जाता है।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या कोई छेड़छाड़ ना हो यह सुनिश्चित करने के लिए इसे सील कर दिया जाता है?
अधिकारी ने कहा कि फिलहाल प्रक्रिया नहीं है।
जस्टिस खन्ना ने पूछा कि ईसीआई द्वारा उपलब्ध कराया गया सॉफ्टवेयर, क्या कोई लॉकिंग मैकेनिज्म है? रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उपयोग किया गया लैपटॉप सुरक्षित है?
अधिकारी ने कहा जी हां।
जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या उस लैपटॉप का उपयोग करने पर कोई रोक है?
अधिकारी ने कहा नहीं, लेकिन इसे अलग से रखा गया है।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि यदि एसएलयू संरक्षित है, तो हम जानते हैं कि कोई बदलाव नहीं हो सकता है।
जस्टिस खन्ना ने पूछा कि फ्लैश मेमोरी फीड होने के बाद क्या कोई संकेत लिया गया है?
अधिकारी ने कहा हां, लोड करने के बाद वीवीपीएट को प्रिंट करने का आदेश दिया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सही सिंबल लोड किए गए हैं। रिटर्निंग ऑफिसर और उम्मीदवार हस्ताक्षर करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आपके पास कितनी वीवीपीएट मशीनें हैं? 2 करोड़ और विषम की ओर इशारा किया गया था।
आधिकारी ने कहा कि करीब लगभग 17 लाख।।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या यह ईवीएम के बराबर नहीं होगा? जस्टिस खन्ना ने कहा कि यदि उम्मीदवार सॉफ्टवेयर निर्माण पर आपत्ति उठाता है, तो वह उपलब्ध है?
अधिकारी ने कहा कि वह भाग उपलब्ध नहीं होता (बाद में जोड़ा जाता है)। इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब क्या 17A और 17C के बीच कोई मेल नहीं है? आप कितने बेमेल की पहचान कर सकते हैं। ईसीआई ने कहा कि 17ए में अंतर्निहित सुधार होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या 17ए के तहत मतदाता की प्रविष्टि को मतदान अधिकारी द्वारा हर घंटे प्रमाणित नहीं किया जाना चाहिए? जब कोई व्यक्ति बूथ के अंदर जाता है, लेकिन वोट नहीं देता तो मतदान अधिकारी को पता चल जाएगा। ईसीआई ने कहा कि यह 17सी के अंतर्गत आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17सी कॉलम में यह दर्ज नहीं होगा। यह केवल कुल वोटों की संख्या है। याचिकाकर्ता के वकील से जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कल आपने जो विसंगति बताई थी, वह रजिस्टर में दर्ज किए गए व्यक्तियों की संख्या और डाले गए वोटों की संख्या थी। नियम 49O के तहत शक्ति का उपयोग करने पर मिसमैच नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या वोटर को तस्दीक के लिए पर्ची मिल सकती है कि उसने वोट डाल दिया है। क्या ऐसा हो सकता है।
चुनाव अधिकारी ने कहा कि यह निजता के अधिकार का मसला है। इसलिए कुछ नहीं कह सकता और दूसरा मशीन के कैलिब्रेशन का मसला है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या बैलेट यूनिट और वीवीपैट पर्चियों में संग्रहीत डेटा के बीच बेमेल होने का कोई मामला है? ईसीआई ने कहा कि अब तक एक भी बेमेल नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अब तक कितने VVPAT गिने गए? ईसीआई ने कहा कि 4 करोड़ से अधिक आंकड़ा है। वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि उनके स्वयं के दस्तावेज़ से पता चलता है कि एक बेमेल है और अब यह नहीं कहा जा सकता है कि कोई बेमेल नहीं है। वे बेमेल की एक घटना को भी समझा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस आरोप की जांच करने को कहा कि केरल में मॉक पोल के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में भाजपा के पक्ष में अतिरिक्त वोट दर्ज किए गए थे। जस्टिस संजीव खन्ना ने मौखिक निर्देश चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह को दिए। इस संबंध में प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मिसमैच को लेकर कोई डेटा है चुनाव आयोग के पास?
चुनाव आयोग ने कहा कि कोई मिसमैच नहीं है। 17A और 17C का संबंध मिसमैच से नहीं है। कोई मिसमैच नहीं है। जिसमें केरल के कासरगोड में एक मॉक के दौरान बीजेपी लिए अतिरिक्त वोट दर्ज किए गए थे। चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया। चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट की गई खबर पूरी तरह से झूठी है।
वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में खबर की रिपोर्ट दिखायी थी कि मॉक ड्रिल के दौरान एक एक अतिरिक्त वोट भाजपा के पक्ष में पाया गया था। चुनाव अधिकारी ने कहा कि 2019 में एल्गोरिदम में गलतियां थीं। अब हमने इसे अपडेट कर लिया है, और ये सही ढंग से काम कर रहा है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा जो डेटा लिया गया है वह ऐप से मिला है। ये कैसे काम करता है।चुनाव अधिकारी ने कहा कि इसे कोई भी प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकता है और वोटिंग परसेंट देख सकता है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि पोलिंग अफसर के लिए किसी भी वक्त तक वोट कितने पड़े ये नंबर देख पाना पॉसिबल है या उसे आखिर तक इंतजार करना पड़ेगा। चुनाव अधिकारी ने कहा कि केवल कुल वोट्स देख सकते हैं। निर्वाचन आयोग के वकील ने शीर्ष अदालत को ईवीएम स्टैंडअलोन मशीनें हैं। हैक या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. वीवीपैट को दोबारा डिजाइन करने की जरूरत नहीं है। मैन्युअल गणना में मानवीय त्रुटि से इंकार नहीं किया जा सकता। वर्तमान व्यवस्था में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गयी है। मनिंदर सिंह ने कहा कि धारा 61A भी देखें। पहले दायर एक याचिका जिसमें 100% EVM-VVPAT मिलान की मांग की गई थी, वह खारिज कर दी गई। उनके पास गलत जानकारी थी। इसलिए EVM मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। जर्मनी के संदर्भ में कई मतभेद हैं। वे हमारे लिए स्पेशल हैं और पूरी तरह से टिकाऊ हैं।
जस्टिस खन्ना – एक सुझाव यह है कि अगर हर प्रत्याशी को चुनाव चिन्ह के साथ बार कोड दिया जाए तो जब आपको पर्चियां गिननी होती हैं तो मशीन बारकोड से ही गिनती कर लेती है। प्रत्येक वोट के लिए बार कोड नहीं दिया जा सकता, यह एक कठिन कार्य होगा। मनिंदर सिंह ने कहा कि स्वतंत्र रूप से काम कर रहे एक्सपर्ट के साथ टेक्निकल एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जाती है। वोटिंग खत्म होने के बाद मैचिंग की जाती है। अगर कोई मैच होता है तो वोटर टर्नआउट ऐप के अनुमान पर आधारित होता है।
जस्टिस खन्ना ने पूछा कि इससे पता चलता है कि संसदीय समिति को भी जानकारी नहीं है।
मनिंदर सिंह ने कहा सि आप मैकेनिज्म पर विचार कर रहे हैं, वोटर टर्नआउट ऐप आपके सामने नहीं रखा गया। इसका EVM से कोई लेना-देना नहीं है।
जस्टिस दत्ता ने कहा कि अगर ये आपके लिए परेशानी खड़ी करता है, तो इसे इस्तेमाल क्यों करते रहें।
मनिंदर सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग 1-2 साल पहले चुनाव की तैयारी शुरू कर देता है।
जस्टिस खन्ना ने पूछा कि अगर एक वोटर को बैलट पेपर चाहिए और दूसरे को नहीं, तो आप इसे कैसे मैच करेंगे। तब तो इसका गलत इस्तेमाल होगा।
मनिंदर सिंह ने कहा कि इसकी जरूरत क्या है, EVM का प्रभाव भी देखिए। जस्टिस खन्ना ने नाराजगी जताते हुए कहा भूषण जी, चाहे वीवीपीएट मशीन पर पारदर्शी, ट्रांसपैरेंट ग्लास हो या बल्ब हो, आप इसे बहुत दूर ले जा रहे हैं। बल्ब आपको यह देखने में मदद करता है, बस इतना ही है। गणना नियंत्रण इकाई द्वारा की जाती है। हर बार जब वोट डाला जाता है, तो पर्ची गिर जाती है और मतदान अधिकारी द्वारा कुल का सत्यापन किया जाता है।
अब हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता है। आप हर चीज़ के प्रति आलोचनात्मक नहीं हो सकते। यदि कोई स्पष्टीकरण दिया गया है तो आपको उसकी सराहना करनी चाहिए। भूषण जी, किसी भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है, यदि कुछ सुधार लाया जाता है तो वे आपको तब तक क्यों समझाएंगे जब तक कि यह वैध न हो जाए। बल्ब लगाना है या नहीं या चमक आदि का निर्णय उन्हें करना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि यह मौलिक अधिकार है, लेकिन अति संदेह कि यहां जरूरत नहीं है। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अदालत इस मामले पर तब सुनवाई कर रहा है। जबकि शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के पहले चरण कि वोटिंग होने वाली है। आखिर लोग तब वोट करने क्यों जाएंगे जबकि ईवीएम पर अदालत सुनवाई कर रहा है और तमाम सवाल ऐसे आ रहे हैं सोशल मीडिया पर, जैसे कुछ गड़बड़ी है। मसला लोगों के भरोसे का है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका काफी पहले दायर हुई थी। हमें भी पता है। सॉलिसिटर जनरल ने EVM को लेकर दायर पेटिशन पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं, याचिका दायर की जाती है।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि ऐसा नहीं है। यह याचिका चुनाव के बहुत पहले दायर हुई थी। कुछ याचिकाएं जरूर अभी दायर हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोगों की ओर से दिया गया डेटा ठीक नहीं है और हमने 17a और 17c मिसमैच को लेकर पूछा है। वो आयोग की स्पष्टता को सुना है। वकील शंकरनारायणन ने कहा कि आयोग के वकील सिंह कहते हैं कि मिसमैच का केवल एक घटना है, जिसे हमने बताया गया है। ईसीआई प्रतिनिधि ऐसा नहीं कहते, वे स्वीकार कर रहे हैं कि मानवीय त्रुटियां हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जो बताया जा रहा है वह वह नहीं है, जो आपने तर्क दिया था। चुनाव आयोग ने कहा कि सिर्फ एक घटना है और नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपका बयान रिकॉर्ड कर लें। विदेशों में चुनावी व्यवस्था की बड़ाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को रोकते हुए कहा कि आप क्या समझते हैं विदेशों में व्यवस्था ज्यादा अच्छी है। ऐसा मत सोचिए कि विदेशों में व्यवस्था भारत से ज्यादा एडवांस है।
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