दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है. केजरीवाल ने अंतरिम जमानत की अवधि 7 दिन और बढ़ाने की मांग की है. केजरीवाल ने कहा है कि जेल जाने के बाद अब तक 7 किलो उनका वजन घट गया है और कीटोन लेबल भी काफी बढ़ा है.
केजरीवाल की अर्जी में यह भी कहा गया है कि मेडिकल जांच करवाना है. उनकी जांच मैक्स के डॉक्टरों ने की है और उन्हें गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते है. मुख्यमंत्री को PET-CT स्कैन के साथ कई अन्य टेस्ट भी करवाने की जरूरत है.
गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अर्जी पर केजरीवाल ने अपना रिटन सबमिशन दाखिल किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने रिटन सबमिशन में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि ईडी के पास गिरफ्तारी के उचित आधार नहीं है. सिर्फ संदेह के आधार पर गिरफ्तारी की गई है.
इसके अनुसार, पीएमएलए में गिरफ्तारी के मानक तय हैं, जिसका पालन ईडी ने नहीं किया है. इस मामले में ईडी का कदम संतुलित नहीं है. धारा 19 के तहत गिरफ्तारी केवल धारणाओं, अनुमानों, अटकलों पर आधारित नहीं हो सकती. ऐसी सामग्री होना जरूरी है, जिसका स्पष्ट आधार हो. संदेह के आधार पर गिरफ्तारी वैध नहीं है. धारा 19 के आधार पर एक ठोस निर्धारण की परिकल्पना की गई है.
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इसमें कहा गया कि अपराध के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए कब्जे में ठोस सामग्री होनी चाहिए. तभी गिरफ्तारी की जा सकती है. अगर गिरफ्तारी के कदम में मानकों का पालन नहीं किया जाता, तब इसे अदालत द्वारा अवैध मानकर रद्द किया जा सकता है.
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद थे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 10 मई को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी, जिसकी अवधि 1 जून को खत्म हो रही है. 2 जून को उन्हें सरेंडर करना है.
इससे पहले सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि केजरीवाल अंतरिम जमानत के दौरान दिए गए अपने बयान में कहा था कि अगर उनकी पार्टी को वोट दिया गया तो 2 जून को उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा. इस पर कोर्ट ने कहा था कि हम इसमें नहीं पड़ना चाहते हैं. हमारा आदेश साफ है कि उन्हें सरेंडर करना होगा.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि फैसले का आलोचनात्मक विश्लेषण स्वागत योग्य है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अनुच्छेद 19 का उल्लंघन हुआ तो अदालत दखल दे सकता है.
– भारत एक्सप्रेस
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