दिल्ली हाईकोर्ट ने चाइल्ड पोर्न सामाग्री के मामले में दो आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो मामले को बंद करने संबंधी निचली अदालत के फैसले पर आपत्ति जताई है. उसने विशेष परिस्थिति में अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए एक जनहित याचिका को पुनरीक्षण याचिका में तब्दील कर दिया और उस मामले में आरोपमुक्त किए गए दो आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.साथ ही इस मामले में वकील आशा तिवारी को न्याय मित्र नियुक्त किया है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने यह आदेश एक जनिहत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. पीठ ने कहा कि भले ही आपराधिक मामलों में जनिहत याचिका पर आम तौर पर विचार नहीं किया जाता है, लेकिन निचली अदालत का पारित आदेश कानून के अनुरूप नहीं है. उसके इस आदेश से न्याय का गर्भपात हुआ है. पीठ ने यह कहते हुए इस मामले पर पुर्नविचार के लिए एकल पीठ के पास भेज दिया है और उसके समक्ष सूचिबद्ध करने का निर्देश दिया है.
कड़कड़डूमा कोर्ट ने आदेश के खिलाफ तुलिर चैरिटेबल ट्रस्ट नामक एक संगठन ने हाईकोर्ट में जनिहत याचिका दाखिल की थी. बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) से जुड़े लगभग 73 वीडियो आरोपियों के उपकरणों से बरामद होने के बाद सीबीआई ने मामले में दो लोगों को आरोपी बनाया था. सीबीआई ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल नहीं की थी. कोर्ट ने सीबीआई के वकील से पूछा कि क्या वह इस मामले में अपील दाखिल करेंगे. वकील के न कहने पर कोर्ट ने जनहित याचिका को पुनरीक्षण याचिका में तब्दील कर दिया और आरोपियों को नोटिस जारी किया.
-भारत एक्सप्रेस
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