दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से विशेष परिस्थिति में भारत में जन्मी एवं पली-बढ़ी एक 17 वर्षीय लड़की को नागरिकता देने का आदेश दिया है. लड़की के माता-पिता उसके जन्म के समय अमेरिकी नागरिक थे, लेकिन उनके पास ओवरसीज सिटीजन आफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड था.
न्यायमूर्ति प्रतिबा मनिंदर सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़की का मामला एक विशेष परिस्थिति के तहत आता है, जो नागरिकता अधिनियम, 1955 या पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के किसी विशिष्ट प्रावधान के अंतर्गत नहीं है. याचिकाकर्ता लड़की रचिता फ्रांसिस जेवियर एक अवैध प्रवासी नहीं है. वह भारतीय मूल के व्यक्ति की संतान है, जो नागरिकता की धारा 5(1)(ए) के तहत भारतीय मूल के व्यक्ति की श्रेणी के तहत नागरिकता पंजीकरण की हकदार है.
न्यायमूर्ति ने कहा कि यह मामला स्पष्टीकरण 2 के तहत आएगा, क्योंकि लड़की के माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक थे, जिन्होंने बाद में अमेरिकी नागरिकता ले ली थी. इसके अलावा उसका जन्म भारत में हुआ है, जब उसके माता-पिता कानूनी रूप से ओसीआई कार्ड धारक के रूप में भारत में रह रहे थे.
न्यायमूर्ति ने मामले पर विचार करने के बाद कहा कि लड़की का मामला नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत विशेष परिस्थिति का है. ऐसे मामले में केंद्र लड़की को नागरिकता देने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है.
कोर्ट ने लड़की से इसके लिए आवेदन करने एवं सरकार से उस पर 30 दिनों में निर्णय लेने को कहा है. साथ ही लड़की से नागरिकता मिलने के बाद पासपोर्ट के लिए आवेदन करने को कहा, जो उसे 15 दिनों में मिल सकता है.
न्यायमूर्ति ने कहा कि लड़की जेवियर को बिना देश का नागरिक नहीं किया जा सकता है और उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों जैसे कि आंदोलन की स्वतंत्रता, एक पहचान रखने की स्वतंत्रता, एक विदेशी देश में भी अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षित होने की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. उसको नागरिकता न देने और इसके परिणामस्वरूप पासपोर्ट न देने से उसे एवं उसके परिवार पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है.
जेवियर ने पासपोर्ट जारी करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसने कोर्ट को बताया कि उसके पास कभी पासपोर्ट नहीं था और उसका जन्म भारत में भारतीय मूल के माता-पिता के घर हुआ है. उन्होंने अब अमेरिकी नागरिकता हासिल कर ली है. उसके जन्म के समय उसके माता-पिता भारत में थे. फिर भी पासपोर्ट जारी करने के लिए उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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