Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने आबकारी नीति मामले की सुनवाई में देरी न हो, इसको लेकर कई दिशा-निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि जब भी जांच एजेंसी किसी आरोपी के खिलाफ अदालत में पूरक आरोप पत्र दाखिल करता है तो उसी दिन उसकी हार्ड कॉपी व उसकी डिजिटल कॉपी अन्य आरोपियों को भी दे दिया जाए, जिससे दस्तावेजों की जांच के नाम पर काफी समय न लगे और सुनवाई से पहले की कार्यवाही का समय बचाया जा सके.
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने यह निर्देश व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की याचिका पर जारी किया है. जिसने पूरी जांच होने तक आरोप तय होने पर सुनवाई न होने की बात कही थी. न्यायमूर्ति ने उनकी उस मांग को ठुकरा दिया था. न्यायमूर्ति शर्मा ने सुनवाई में देरी न होने को लेकर आगे कहा है कि आरोपी जांच एजेंसी की ओर से सौंपी गई कॉपी का मुआयना करें और उसमें किसी भी कमी के बारे में दो दिनों के भीतर जांच अधिकारी को बताएं. वे दस्तावेजों की जांच में अनावश्यक देरी न करें, जिससे सुनवाई में विलम्ब न हो और जल्द सुनवाई हो सके.
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न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि कई आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए उनके हित में होगा कि वे दस्तावेजों की जांच के लिए लंबी तारीख या स्थगन की मांग न करें. न्यायमूर्ति ने संबंधित अदालत से भी कहा है कि वह समय-सीमा का ध्यान रखते हुए आरोपों पर बहस तुरंत सुने और सभी आरोपियों को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए समय व तारीख दे दिया जाए.
हाई कोर्ट ने कहा कि वह दिव्यांग वादियों और वकीलों के मामलों की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करेगा. दिव्यांगों के मामलों को भी प्राथमिकता देगा. कोर्ट ने इसको लेकर परिपत्र जारी किया है. उसने अपने परिपत्र में कहा है कि दिव्यांग वादियों के मामलों की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए उसके वकील रजिस्ट्री से संपर्क करें और अपने मामले से उसे अवगत कराए. साथ ही दिव्यांगों से संबंधित मामलों का पक्ष रखने वाले सभी वादियों/दिव्यांग अधिवक्ताओं एवं उनके वकीलों से अनुरोध किया है कि वे इस कोर्ट की संबंधित पीठ के समक्ष चल रहे अपने मामलों के बारे में भी रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) के कार्यालय को अवगत कराएं. इससे यह होगा कि उक्त कार्यालय उसकी पहचान कर मामले को श्रेणीबद्ध रूप से लिस्टिंग करेगा और उनके मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जा सकेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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