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DG Post के VRS ने सबको किया हैरान, पोस्टल सर्विस का सबसे बड़ा पद होता है डीजी

Postal Department News: आबादी के मामले विश्व के सबसे बड़े देश भारत में सरकारी नौकरी मिलना जितना मुश्किल है उसे कहीं ज्यादे मुश्किल भारत की सबसे बड़ी परीक्षा लोक सेवा आयोग से चयनित होकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में आना.

भारतीय प्रशासनिक सेवा के क्रेज और ट्रेंड से हर कोई भली भांति परिचित है, सालों की मेहनत और एक रिजल्ट सबकुछ बदल देता है. भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के बाद टेबल के उस पार की जो कुर्सी होती है उसका जबरदस्त क्रेज आमजन में होता है.

2014 में देश में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से जहां खुद को जनता का प्रधानसेवक बताया वहीं काम ना करने वाले अधिकारियों को कई बार सख्त मैसेज भी दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान जनता को कोई समस्या ना हो उसके लिए स्वागत पोर्टल बनवाया था और इस पोर्टल के माध्यम से सुनवाई की एक समयसीमा भी तय किया था. नरेंद्र मोदी के इस विजन की ही देन रही कि गुजरात में आजतक भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भी हमेशा इस बात की चिन्ता किया कि आमजन को अपनी समस्याओं को लेकर इधर उधर बेवजह का भटकना ना पड़े, इसके लिए उन्होंने कई अधिकारियों को नियुक्त भी किया और आमजन से सीधे कनेक्ट होने के लिए मन की बात की शुरुआत किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की संस्कृति की झलक को विश्व जगत में दिखाने के लिए व्यापक स्तर पर अनेकों कार्य किया, यहां तक की प्रधानमंत्री ने अपने कई विदेशी मेहमानों को लोगों के हाथ के बने हुए स्थानीय उत्पादों को गिफ्ट भी किया.

प्रधानमंत्री ने एक समय संचार का सबसे सुलभ एवं लोकप्रिय माध्यम रहे पोस्टल सर्विस में नई जान फूंकने के लिए पोस्ट पेमेन्ट सहित कई नई योजनाएँ चलवाईं.

प्रधानमंत्री के डाक सेवा से लगाव की ही वजह रही है इस मंत्रालय की पहले कार्यकाल में जिम्मेदारी मनोज सिन्हा को मिली थी और इस कार्यकाल में अश्विनी वैष्णव को मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में डाक सेवा में बदलाव तो दिखने लगा था लेकिन इस कार्यकाल में कोई खासा बदलाव एवं प्रगति नहीं दिखी.

इन सबके बीच 14 दिसम्बर 2023 को डीजी पोस्टल के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ने पूरे डाक विभाग समेत अन्य विभाग के अधिकारियों को चौंका दिया, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यूं तो कार्यरत हर एक अधिकारी, कर्मचारी का व्यक्तिगत अधिकार होता है लेकिन दोपहर के 1 बजे स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के लिए आवेदन करना और उसी दिन तकरीबन 2 घण्टे में ही विभागीय मंत्री द्वारा स्वीकृति मिल जाना चौकाने वाली बात है. सूत्रों के अनुसार विभागीय काम में कुछ खासा प्रभाव ना डाल पाना भी एक बड़ी वजह रही.

आलोक शर्मा 1986 बैच के Ip0s अधिकारी हैं और अभी उनकी नौकरी तीन महीने से अधिक की बची हुई थी. महानिदेशक डाक पोस्टल सर्विस का सबसे बड़ा पद होता है और आलोक शर्मा इसी पद पर कार्यरत थे. आलोक शर्मा के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को कुछ लोग प्रेशर में लिया गया फैसला बता रहे हैं. वहीं कुछ लोग इसके सियासी मायने निकाल रहे हैं.

Divyendu Rai

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