दिल्ली-एनसीआर में लागू ग्रेप 4 को सुप्रीम कोर्ट ने हटाने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को ब्रीफ नोट दिया, जिसमें AQI स्तर का ब्यौरा है. इसमें स्तर में सुधार है और यह कम हो रहा है. ऐसे में हम ग्रैप तय करने का जिम्मा CAQM पर छोड़ते हैं. कोर्ट 12 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
कोर्ट ने कहा हमें नहीं लगता कि इस स्तर पर आयोग को ग्रैप 2 से नीचे जाने की अनुमति देना उचित होगा. शायद इस अदालत द्वारा आगे की निगरानी आवश्यक है. हालांकि हम आयोग को प्रस्तुत करने के लिए ग्रेप 2 पर जाने की अनुमति देते हैं, यह उचित होगा यदि इसमें अतिरिक्त उपाय शामिल हों, जो ग्रैप 3 का हिस्सा हैं और पूरी तरह से हम ऐसा करने की अनुमति देते हैं.
कोर्ट ने कहा कि हमें यहां रिकॉर्ड करना होगा कि यदि आयोग को पता चलता है कि AQI 350 से ऊपर जाता है, एहतियात के तौर पर स्टेज 3 को तुरंत लागू करना होगा. यदि किसी दिन AQI 400 को पार कर जाता है, तो स्टेज 4 को फिर से शुरू किया जाएगा. वही कोर्ट के आदेश दिल्ली, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने कहा कि हमने 90000 श्रमिकों को 2000 का भुगतान किया है. दिल्ली मुख्य सचिव के लिए वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि सत्यापन की आवश्यकता है. हमने पंजीकृत प्रत्येक श्रमिक को धनराशि जारी की है. शेष रुपए 6000 हम आज ही जारी करेंगे. जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 90 हजार मजदूर 8 हजार रुपये के लिए पात्र हैं. आप बाकी के 6 हजार रुपये कब चुकाएंगे. क्या आप चाहते हैं कि मजदूर भूखे मरें. अगर बकाया पैसा नहीं दिया गया तो, हम अवमानना नोटिस जारी कर रहे हैं. ये क्या हो रहा है.
हालांकि, कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी नहीं किया. जस्टिस ओका ने दिल्ली के मुख्य सचिव से पूछा कि क्या केवल 90 हजार मजदूर हैं. मुख्य सचिव दिल्ली ने कहा कि पोर्टल में 90 हजार पंजीकृत हैं. जस्टिस ओका ने कहा कि क्या आपने यह जानने का प्रयास किया है कि क्या दिल्ली में कोई अन्य मजदूर भी हैं. अन्य निर्माण श्रमिकों का पता लगाने की कवायद कौन करेगा. श्रमिकों को कैसे पता चलेगा कि उन्हें इस पोर्टल पर पंजीकरण कराना है.
कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि हमें पता है सरकार यह पता लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगी कि अन्य मजदूर कौन हैं और कोई भी यह देखने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगा कि उन्हें भुगतान किया जाए. यह आपका दृष्टिकोण है. आप बस इतना कहते हैं कि किसी और ने पंजीकरण नहीं कराया है. आपने यह सुनिश्चित करने के लिए क्या प्रयास किए हैं कि अन्य निर्माण श्रमिक अपना पंजीकरण करा सकें.
जस्टिस ओका ने कहा कि क्या आपने इस अदालत के आदेश के बाद लोगों से खुद को पंजीकृत करने के लिए एक भी नोटिस जारी किया है. मुख्य सचिव ने कहा कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि दिल्ली के वकील फरासत ने पिछली बार कहा था कि पिछले वर्ष के 12 लाख पंजीकरण समाप्त हो गए हैं. दिल्ली मुख्य सचिव ने कहा कि पोर्टल पर रजिस्टर पर जानकारी मैंने दी है. जस्टिस ओका ने कहा कि क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए. यदि यह गलत निकला तो कृपया परिणाम को समझें.
-भारत एक्सप्रेस
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