दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर (CIC) ने गणित शिक्षा कार्यक्रम में M.Sc में प्रवेश में मुस्लिम आरक्षण को हटाने का प्रस्ताव रखा है. यह पाठ्यक्रम मेटा यूनिवर्सिटी अवधारणा (Meta University Concept) के तहत जामिया मिलिया इस्लामिया के साथ संयुक्त रूप से पेश किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट को पता चला है कि यह मामला सोमवार (30 दिसंबर) को CIC की गवर्निंग बॉडी की बैठक में रखा जाएगा.
मामले पर जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) ने मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया.
2013 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम DU और जामिया के बीच सहयोग से चलता है. कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम्स (CUET-PG) के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रवेश वर्तमान में सीट वितरण नीति का पालन करता है, जिसमें मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए स्पेशल आरक्षण शामिल है.
कुल 30 सीटों में से 12 अनारक्षित श्रेणी के लिए, 6 OBC (गैर-क्रीमी लेयर) के लिए, 4 मुस्लिम (जेनरल) के लिए, 3 EWS के लिए, दो SC के लिए और एक-एक ST, मुस्लिम OBC और मुस्लिम महिलाओं के लिए हैं.
यह बताते हुए कि धार्मिक आरक्षण विश्वविद्यालय की नीतियों के साथ असंगत है, DU के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि “पूरा विचार यह है कि विश्वविद्यालय में किसी भी पाठ्यक्रम के लिए धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए. जाति आरक्षण के हिस्से के रूप में वंचितों के लिए कोटा रखने की बात करें तो यह एक अलग मामला ह.”
पिछले कुछ वर्षों में M.Sc कार्यक्रम के लिए प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत हो गई है, जिसमें सभी छात्रों को जामिया के बजाय DU के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है.
CIC के एक अधिकारी ने कहा, “अब यह चर्चा की जा रही है कि चूंकि छात्रों को DU में प्रवेश दिया जा रहा है, इसलिए स्वाभाविक रूप से उन्हें DU में अपनाई जा रही आरक्षण नीति का पालन करना चाहिए. इस पर चर्चा चल रही है. एक बार जब गवर्निंग बॉडी कोई निर्णय ले लेती है, तो हम कुलपति के सामने विचार के लिए प्रस्ताव रखेंगे.”
M.Sc कार्यक्रम मेटा यूनिवर्सिटी अवधारणा के अंतर्गत आता है, जो इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, भारत में उच्च शिक्षा में एक आदर्श बदलाव को दर्शाता है. इस पहल का उद्देश्य कई संस्थानों से संसाधनों और विशेषज्ञता को एकत्रित करके तालमेल बनाना है.
CIC प्रशासनिक रूप से इस कार्यक्रम का प्रबंधन करता है. इसके अंतर-विश्वविद्यालय प्रकृति के बावजूद, CIC का मानना है कि DU की नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
अधिकारी ने कहा, “यह देश की एकमात्र डिग्री है जिस पर दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों का लोगो लगा होता है.जब कोई छात्र अपनी पीजी की पढ़ाई पूरी करता है. यह पाठ्यक्रम 2013 में शुरू हुआ था. पाठ्यक्रम की शुरुआत के दौरान गठित समिति ने निर्णय लिया था कि 50% छात्रों को DU में और बाकी 50% को जामिया में प्रवेश दिया जाएगा.”
अधिकारी ने बताया कि मूल समझौता ज्ञापन में सीट वितरण का उल्लेख नहीं था, लेकिन कार्यक्रम की व्यवस्था की देखरेख करने वाली समिति ने उस समय वर्तमान आवंटन मॉडल तैयार किया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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