Tesla vs Tesla: भारत के गुरुग्राम की बैटरी निर्माता कंपनी टेस्ला पावर के खिलाफ अमेरिका की कार निर्माता कंपनी टेस्ला ने ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया है और इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. इसी के साथ ही अमेरिकी कंपनी ने कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए हर्जाने और ट्रेडमार्क के उपयोग के लिए स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की है. फिलहाल इस मामले में हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की है.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी ने टेस्ला पावर इंडिया द्वारा टेस्ला ट्रेडमार्क के इस्तेमाल और इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में प्रवेश करने का ऐलान करने से परेशान होकर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और भारतीय कम्पनी पर मुकदमा दायर कर दिया है. अमेरिका की टेस्ला ने कोर्ट को बताया कि प्रतिवादी टेस्ला पावर इंडिया ने इस कदम की घोषणा करते हुए समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनीश दयाल ने इस मामले में 2 मई को सुनवाई की थी. इस दौरान टेस्ला पावर इंडिया के मालिक कोर्ट के सामने पेश हुए और कहा कि उन्होंने अंडरटेकिंग दी है कि उनका इलेक्ट्रिक वाहन बनाने का कोई इरादा नहीं है और वे किसी अन्य इकाई के इलेक्ट्रिक वाहनों को ट्रेडमार्क या ट्रेडनाम ‘टेस्ला पावर USA’ या ‘टेस्ला’ शब्द से मिलते-जुलते किसी अन्य ब्रांड के तहत नहीं बेचेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि वे अपने ब्रांड नाम/ट्रेडनाम के तहत EV वाहनों के संबंध में कोई प्रचार विज्ञापन या सामग्री जारी नहीं करेंगे. इसी के साथ ही वह आगे बोले कि प्रतिवादी ‘टेस्ला’ के पंजीकृत उपकरण/लोगो का इस्तेमाल नहीं करेंगे. कोर्ट ने अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया और कहा कि प्रतिवादी को इसका पालन करना होगा. इसी के साथ ही कोर्ट ने टेस्ला पावर इंडिया और उसके मालिकों को नोटिस जारी किया और उन्हें 3 सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. साथ ही मामले में सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की.
एलन मस्क की टेस्ला ने कहा है कि अप्रैल 2022 में टेस्ला पावर इंडिया और उसके समकक्ष टेस्ला पावर USA को एक संघर्ष विराम नोटिस जारी किया गया था और मार्च 2023 तक दोनों पक्षों के बीच संचार का आदान-प्रदान किया गया था लेकिन प्रतिवादी कंपनी ने टेस्ला ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करके अपने सामान का विज्ञापन और मार्केटिंग करना जारी रखा. इसी के साथ ही अमेरिकी कम्पनी टेस्ला ने कोर्ट के सामने विज्ञापन भी रखे हैं.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादियों के वकील जवाब दाखिल करना चाहते हैं और उन्होंने अपने बचाव के समर्थन में दस्तावेजों का एक सेट सौंपा है. इसे आज से 3 सप्ताह की अवधि के भीतर, इस आवेदन के उत्तर के भाग के रूप में, प्रतिवादी वकील को प्रति के साथ, कोई के समक्ष दायर किया जा सकता है. अगर कोई प्रत्युत्तर हो तो अगली तारीख से पहले दायर किया जाना चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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