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जहरीली हवा में जीने को मजबूरी, दिल्ली-NCR का AQI 500 के पार

Delhi NCR Air Pollution: देश की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले लोग साफ हवा और पानी के लिए प्यूरीफायरों के भरोसे हैं. देश के गांवों में जहां शुद्ध हवा पानी है वहां रोजगार नहीं है, ऐसे में लोग मजबूरन औद्योगिक क्षेत्रों में पलायन के लिए मजबूर हैं, लेकिन जहां उद्योग और औद्योगिक क्षेत्र हैं वहां न तो पीने का पानी साफ है न ही हवा स्वच्छ है. लेकिन रोजी रोटी की वजह से लोग वहां उन्हीं परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर हैं.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हालात इस कदर खराब हैं की जहरीली हवा में रहने के लिए लोग मजबूर हैं. दिल्ली एनसीआर से सटे इलाकों की भी आबोहवा जहरीली होती जा रही है और इसमें फिलहाल अगले कुछ दिनों तक सुधार नहीं हुआ तो वायु गुणवत्ता सूचकांक में भी कोई परिवर्तन दर्ज नहीं हो सकेगा. जब-जब ठंड की शुरुआत होती है तब – तब दिल्ली – एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है. दिल्ली के अलावा बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और मेरठ की वायु की गुणवत्ता खराब दर्ज की गई है. इन शहरों में खुली हवा में आमजन का सांस लेना दूभर हो गया है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गाजियाबाद की हवा खराब हो गई है.

इन शहरों की वायु गुणवत्ता जानिए

  • दिल्ली 576
  • गाजिया बाद 478
  • बुलंदशहर 372
  • गौतमबुद्धनगर 366
  • मेरठ 322
  • कानपुर 214
  • लखनऊ 213
  • जयपुर 169
  • पानीपत 157
  • प्रयागराज 133
  • गोरखपुर 127

वायु गुणवत्ता खराब होने की वजह

प्रदूषण फैलाने का जिम्मेदार प्रमुख रूप से वाहन, औद्योगिक इकाइयां और ताप ऊर्जा संयंत्रों, निर्माण कार्य को माना जाता है. वर्तमान हालात में परिवर्तन प्रतिकूल मौसम और जलवायु परिस्थितियों के कारण आया है जिसकी वजह से 23 और 24 अक्टूबर को हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में जाने की आशंका है. पश्चिम यूपी, हरियाणा और पंजाब में किसानों के पराली जलाने से निकलने वाला धुआं भी दिल्ली-एनसीआर पहुंचता है. वर्तमान हालात कुछ ऐसे हैं कि खराब हवा में सांस लेने से बीमारियों को न्योता देना है. प्रदूषित हवा बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा चपेट में लेती है. वायु प्रदूषण ओजोन की परत में बदलाव लाता है, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई एवं पर्याप्त मात्रा में वृक्षारोपण तथा उनका संरक्षण ना होना भी वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह है.

धरती का तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघलने की आशंका रहती है. जलवायु परिवर्तन का असर इंसानों को प्रभावित करता है. हवा में जहरीली गैस, धूल या धुआं इंसानों से लेकर जानवरों और पौधों के लिए खतरनाक है. प्रदूषित हवा की वजह से इंसान एवं जानवरों की औसत आयु में कमी देखी जा रही है.

 

-भारत एक्सप्रेस

Divyendu Rai

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