शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए, भारत के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट में किसी भी मामले की प्राथमिकता तय करना केवल चीफ जस्टिस का अधिकार है. संजय राउत ने महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) की हार के बाद आरोप लगाया था कि CJI ने विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिकाओं पर निर्णय में देरी की, जिससे राजनेताओं में कानून का डर खत्म हो गया और राजनीतिक दलबदल की स्थिति पैदा हुई.
पूर्व CJI ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट में कौन सा मामला पहले सुना जाएगा, यह केवल चीफ जस्टिस के विवेक पर निर्भर करता है. कोई व्यक्ति या पार्टी यह तय नहीं कर सकती कि कोर्ट को किस मामले पर सुनवाई करनी चाहिए.” उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट पूरे वर्ष मौलिक और संवैधानिक मामलों की सुनवाई करता रहा है, और यदि यह किसी एक पक्ष के अनुसार नहीं होता तो क्या इसका मतलब है कि कोर्ट पर आरोप लगाया जाए?
पूर्व CJI ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट में 20 साल से लंबित मामलों का जिक्र करते हुए कहा, “हमारे पास सीमित समय है, और हम उसमें से हर मिनट का इस्तेमाल काम करने में करते हैं. यदि पुराने मामलों की सुनवाई होती है, तो ताजा मामलों पर ध्यान न देने का आरोप लगता है.”
उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कार्यकाल में चुनावी बॉन्ड से लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मामलों तक कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं.
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राउत के आरोपों पर डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सामान्य नहीं है कि एक राजनीतिक वर्ग यह मानता है कि अगर अदालत उनके एजेंडे के हिसाब से काम करती है, तो वह स्वतंत्र है. उन्होंने न्यायालय के कार्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड पर फैसले सहित कई संवैधानिक मुद्दों पर 38 संविधान पीठों की सुनवाई की गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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