नई दिल्ली: विदेशी यात्रियों की आवाजाही पर सख्ती और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय कस्टम विभाग ने नया नियम लागू करने की घोषणा की है. इस नियम के तहत, *1 अप्रैल, 2025* से सभी एयरलाइंस को अनिवार्य रूप से विदेशी यात्रियों की विस्तृत जानकारी भारतीय कस्टम विभाग के साथ साझा करनी होगी.
यह नियम भारतीय कस्टम विभाग के “एडवांस पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम” (APIS) के तहत लागू किया जाएगा. इसका उद्देश्य विदेश से आने-जाने वाले यात्रियों की पहचान को पहले से सत्यापित करना और संभावित सुरक्षा खतरों को कम करना है. एयरलाइंस को प्रस्थान और आगमन से पहले यात्रियों का नाम, पासपोर्ट नंबर, यात्रा मार्ग, टिकट की जानकारी, और अन्य प्रासंगिक विवरण भारतीय कस्टम विभाग को भेजना होगा.
नए नियम का उल्लंघन करने वाली एयरलाइंस पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. कस्टम विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई एयरलाइन निर्धारित समयसीमा के भीतर जानकारी साझा करने में विफल रहती है, तो उसे भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है. जुर्माने की राशि का निर्धारण अभी प्रक्रिया में है, लेकिन यह लाखों रुपये तक हो सकती है.
इस कदम का उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना है. कस्टम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह प्रणाली हमें किसी भी संदिग्ध यात्री या गतिविधि की जानकारी पहले से उपलब्ध कराएगी, जिससे समय पर कार्रवाई करना संभव हो सकेगा.”
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कुछ एयरलाइंस ने इस नियम का स्वागत किया है, जबकि कुछ ने इसे एक अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ बताया है. एक प्रमुख एयरलाइन अधिकारी ने कहा, “हमें नियम का पालन करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डाटा साझा करने की प्रक्रिया सुरक्षित और सुगम हो.”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है. अमेरिका, यूरोप और अन्य कई देशों में पहले से ही इस तरह के नियम लागू हैं. यह कदम न केवल सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि यात्रियों के डाटा की पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगा. एयरलाइंस को इस नए नियम को लागू करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है. उन्हें अगले साल मार्च तक अपनी प्रणालियों को अपग्रेड करना होगा, ताकि यात्रियों की जानकारी को स्वचालित रूप से साझा किया जा सके यह नया नियम भारत की सुरक्षा और सीमा प्रबंधन को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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