Jagadguru Rambhadracharya News: रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा का समय भी करीब आ गया है. जिस पल का 500 सालों से राम भक्तों को इंतजार था वह समय, तिथि पास आ गई है. सोमवार को रामलला अपने जन्म स्थान पर विराजमान हो जाएंगे और इसी के बाद से राम भक्त अपने रामलला के दर्शन करने के लिए राम मंदिर जा सकेंगे. 22 जनवरी को भव्य कार्यक्रम के तहत पीएम मोदी के हाथों रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी, लेकिन इससे पहले इस अनुष्ठान को लेकर लगातार कुछ शंकराचार्यों द्वारा सवाल खड़े किए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि, इस प्राण-प्रतिष्ठा में शास्त्रों का उल्लंघन किया जा रहा है. इसी के साथ ही 22 जनवरी की तारीख को भी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए उपयुक्त नहीं बताई जा रही है. तो वहीं इन सभी सवालों को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने जवाब दिया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने राम मंदिर उद्घाटन और प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कहा कि, बरसों पुराना सपना पूरा हो रहा है. यह बहुत बड़ी जीत है. मैं इसे जीवन का सबसे मधुरतम क्षण मानता हूं. इसी के साथ ही शास्त्रों के उल्लंघन वाले आरोपों पर पूछे गए सवाल पर बोले, 14 बरस के वनवास के बाद भगवान राम के अयोध्या आने पर जो प्रतिक्रिया अयोध्यावासियो की हुई थी, वही प्रतिक्रिया मेरी भी है. मेरे हर्ष का ठिकाना नहीं है. राम मंदिर को लेकर मैने जो दो प्रतिज्ञा ली थी, वो पूरी हो गई है. इसी के साथ कहा कि, 22 जनवरी को जो गृह नक्षत्र बने हैं, उसमें त्रेता की छाया आ रही है. उसी समय मंदिर में रामलला विराजमान होंगे. इसमें कोई शास्त्रों का उल्लंघन नहीं है. बता दें कि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले रामभद्राचार्य महाराज की अयोध्या मे कथा चल रही है.
इसी के साथ ही मीडिया से बात करते हुए शंकराचार्य खुद को सर्वश्रेष्ठ बताते हैं, सबसे बड़े धार्मिक ओहदे की बात करते हैं? के सवाल पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि, नहीं, ये उनका भ्रम है. छह आचार्य समान हैं. शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभाचार्य और चैतन्यमहाप्रभु सभी समान हैं. शंकराचार्यों के कुछ भी कहने बोलने से धर्म को कोई हानि नहीं होगी. उन्हें बोलने दीजिए. इसी के साथ राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए साक्ष्यों के सवाल पर बोले कि, 441 प्रमाण मैंने दिए थे, एक दो नहीं और सब सत्य निकले. मुस्लिम जज आलम साहब ने भी कहा था, सर यू आर डिवाइन पावर.
इसी के साथ ही उन्होने आगे कहा कि, उन्होंने संकल्प लिया था, अयोध्या में तब तक कथा नहीं करूंगा, जब तक मंदिर नहीं बन जाता. इसी के साथ आगे कहा कि, अब काशी-मथुरा के लिए जल्दी ही संकल्प लूंगा. कोर्ट बुलाएगी तो मैं जाऊंगा. इसी के साथ प्राण-प्रतिष्ठा के पहले बोले कि, जन्मभूमि से जुड़ा संघर्ष इन दिनों बहुत याद आ रहा है. 2 लाख लोगों ने जो अपने प्राण दिए. इसी अयोध्या की राजकुमारी ने भी अपने प्राण दिए. उन हुतात्माओं की बहुत याद आ रही है. आज उनकी आत्माएं थिरक कर नाच रही हैं यहां.
-भारत एक्सप्रेस
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