प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में बुधवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इस फैसले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है.
पीएम मोदी ने इस पहल का नेतृत्व करने और पूरी प्रक्रिया के दौरान विभिन्न दलों से विचार-विमर्श करने के लिए देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व की तारीफ की. उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”कैबिनेट ने एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है, मैं इस प्रयास का नेतृत्व करने और हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला से परामर्श करने के लिए हमारे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बधाई देता हूं. यह हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पोस्ट में लिखा, ”पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत परिवर्तनकारी सुधारों का गवाह बन रहा है. आज, इस दिशा में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के साथ, भारत ऐतिहासिक चुनाव सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है. यह स्वच्छ और वित्तीय रूप से कुशल चुनावों के माध्यम से हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने और संसाधनों के अधिक उत्पादक आवंटन के माध्यम से आर्थिक विकास में तेजी लाने की पीएम मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है.”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पहल पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव कराने की मौजूदा प्रणाली विकास प्रयासों में बाधा डालती है और राष्ट्रीय खजाने पर बोझ डालती है. ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को अपनाने से सरकार पर चुनाव संबंधी खर्च और वित्तीय बोझ कम करने में मदद मिलेगी. इस ऐतिहासिक फैसले का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करना है.”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा, ”एक देश-एक चुनाव, को मोदी 3.0 कैबिनेट की मंजूरी देश हित में ऐतिहासिक निर्णय है. मगर, ‘एक देश, एक चुनाव’ पर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, ये देश और जनता के हित का मुद्दा है, न कि कोई चुनावी मुद्दा है. 1951 से 1967 तक तो देश में एक साथ ही चुनाव होते थे. मगर, इस परंपरा को तोड़ने का काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया था, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. इसलिए, देश के संघीय ढांचे पर बार-बार हमला करने वाले और लोगों के संवैधानिक अधिकारों को छीनकर आपातकाल लगाकर पूरे देश को जेलखाना बनाने वाली कांग्रेस पार्टी को पहले अपने दागदार इतिहास से सबक लेना चाहिए.”
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उन्होंने आगे लिखा, ”अंतर्द्वंद्व में फंसी दिशाहीन और नीति विहीन कांग्रेस पार्टी नकारात्मकता और झूठ में इस तरह डूब गई है कि उसे राष्ट्रीय महत्व के विषय पर भी राजनीतिक लाभ-हानि की ही चिंता है. ‘एक देश-एक चुनाव’ भारतीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर जनता के हितों को सुरक्षित कर ‘विकसित भारत’ के निर्माण में अहम योगदान देगा. इसलिए, कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को देश हित के इस निर्णय में अपना हठ छोड़कर भारत सरकार के इस निर्णय में साथ आना चाहिए.”
बता दें कि कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था. समिति ने करीब 190 दिनों तक राजनीतिक दलों तथा विभिन्न हितधारकों के साथ मंथन करने के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी. आठ सदस्यीय समिति ने आम जनता से भी राय आमंत्रित की थी. आम लोगों की तरफ से 21,558 सुझाव मिले. इसके अलावा 47 राजनीतिक दलों ने भी अपने राय और सुझाव दिए, जिनमें 32 ने इसका समर्थन किया था. कुल 80 प्रतिशत सुझाव ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के पक्ष में आए थे. समिति ने देश के प्रमुख उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों के भी सुझाव लिए थे.
-भारत एक्सप्रेस
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