जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन 48 सीटों पर जीत का परचम लहराने में सफल रहा. घाटी में विधानसभा की 90 सीटें हैं. इस लिहाज से यह गठबंधन अब इस केंद्रशासित प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार की बागडोर संभालेगा.
उधर, भाजपा 29 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही. यह 46 सीटों के बहुमत के आंकड़े से कोसों दूर है. चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा और कांग्रेस को लेकर कई दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं. जैसे कांग्रेस की ओर से चुनाव में उतारा गया कोई भी हिंदू उम्मीदवार चुनाव नहीं सका, दूसरी ओर भाजपा ने 25 मुस्लिम प्रत्याशियों पर दाव लगाया था, लेकिन कोई भी सफल न हो सका.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर केवल दो हिंदू चेहरे ही चुनाव जीत पाए हैं, जबकि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर 30 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें सिख समुदाय के कई सदस्य शामिल थे. 29 सीटों पर विजयी रही भाजपा के 28 हिंदू और एक सिख सदस्य हैं, जबकि दो पूर्व मंत्रियों सहित उसका कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार जीतने में कामयाब नहीं हो सका.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुरिंदर चौधरी ने राजौरी जिले के नौशेरा निर्वाचन क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना को 7,819 मतों के अंतर से हराया. पूर्व एमएलसी चौधरी को 35,069 वोट मिले, जबकि रैना को 27,250 वोट मिले. रैना ने 2014 के विधानसभा चुनाव में चौधरी को हराकर नौशेरा सीट जीती थी, जो उस समय पीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें उन्होंने 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था. अर्जुन सिंह राजू रामबन विधानसभा क्षेत्र से नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले दूसरे हिंदू चेहरे हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक महिला समेत 9 हिंदू उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनमें से केवल 2 ही जीत पाए. दूसरी ओर कांग्रेस ने 19 हिंदू और 2 सिख उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से अधिकतर जम्मू क्षेत्र से थे, लेकिन उनमें से कोई भी जीत हासिल नहीं कर सका और अधिकांश उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे.
इस बीच, भाजपा के 25 मुस्लिम उम्मीदवारों में से कोई भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाया, जिनमें दो पूर्व मंत्री भी शामिल हैं. इनमें से अधिकांश की जमानत जब्त हो गई, खासकर कश्मीर घाटी में. भाजपा ने कुल 62 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन जम्मू क्षेत्र में केवल 28 हिंदू और एक सिख उम्मीदवार ही जीत पाए.
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बता दें कि जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव हुए, वो भी ऐसे वक्त में, जब अनुच्छेद 370 को निरस्त हुए पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं. कांग्रेस सहित अन्य दल लगातार अनुच्छेद 370 का विरोध कर रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तो अपने मेनिफेस्टो में सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 को बहाल करने का भी वादा किया था. इसका भाजपा ने विरोध किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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