कर्नाटक कांग्रेस के सदस्यों ने मंगलवार (23 जुलाई) को राजधानी बेंगलुरु स्थित विधान सौधा के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर सहित विरोध प्रदर्शन किया.
यह विरोध प्रदर्शन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों द्वारा की गई मनमानी कार्रवाई के विरोध में किया गया. यह प्रदर्शन सामाजिक कल्याण विभाग के एक अधिकारी की शिकायत के बाद बेंगलुरु शहर की पुलिस द्वारा दो ईडी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद किया गया.
विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने भाजपा की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह राज्य की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को कमजोर करने के लिए ईडी का इस्तेमाल कर रही है.
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प्रियांक खड़गे ने कहा, ‘भाजपा कर्नाटक में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार पर सर्जिकल स्ट्राइक कर रही है. ईडी के अधिकारी राज्य सरकार के अधिकारियों पर उन घोटालों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का नाम लेने का दबाव बना रहे हैं, जिनमें वे शामिल नहीं हैं.’
उन्होंने स्पष्ट किया कि हालांकि वे ईडी की जांच पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन वे सरकारी अधिकारियों पर डाले जा रहे अनुचित दबाव पर आपत्ति जताते हैं.
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, ‘आज मंत्रियों समेत सभी विधायक ईडी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि ईडी ने समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक को मुख्यमंत्री का नाम लिखने के लिए मजबूर किया है. स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच में सहयोग करने के लिए मंत्री ने खुद इस्तीफा दे दिया था.’
उन्होंने कहा, ‘एसआईटी ने पहले ही 50% राशि बरामद कर ली है और बहुत से लोगों को गिरफ्तार किया है… अब ईडी भी इसमें शामिल हो गई है और वे समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक को यह कहने के लिए मजबूर कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री इसमें शामिल हैं. मुझे निशाना बनाया गया है. सीबीआई मेरे जैसे लोगों को परेशान कर रही है. एफआईआर दर्ज हो गई है. कानून अपना काम करेगा. हम जांच में दखल नहीं देना चाहते. हम इस पर विधानसभा में भी चर्चा करेंगे.’
एफआईआर में नामित दो अधिकारी ईडी के सहायक निदेशक मुरली कन्नन और उनके वरिष्ठ अधिकारी, एक आईआरएस अधिकारी मित्तल हैं. सामाजिक कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक कल्लेश बी. ने उनके खिलाफ ये शिकायत दर्ज कराई है. यह एफआईआर कल्लेश बी. को इस घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य लोगों को फंसाने के लिए राजी करने का दबाव डालने के लिए दर्ज की गई.
आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने कल्लेश बी. को धमकी दी कि ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी और उन्हें अगले दो साल तक जमानत नहीं मिलेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह धमकी 18 जुलाई को ईडी कार्यालय में गई थी. उक्त मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने अतिरिक्त निदेशक कल्लेश बी. को बुलाया था. कल्लेश पहले महर्षि वाल्मीकि एसटी कॉरपोरेशन के एमडी थे, जो आदिवासी समुदाय के कल्याणकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करती है.
इस घटनाक्रम के कुछ घंटे पहले ही स्थानीय अदालत ने कांग्रेस विधायक और पूर्व आदिवासी मामलों के मंत्री बी. नागेंद्र को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
वाल्मीकि फंड ट्रांसफर घोटाला तब सामने में आया था, जब निगम के एक कर्मचारी एन. चंद्रशेखरन ने धन के गबन के कारण अपनी जान दे दी थी. उन्होंने 26 मई को एक नोट में इसके लिए ‘मंत्री’ को दोषी ठहराया था. इसके बाद बी. नागेंद्र, जो कर्नाटक सरकार में अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के रूप में निगम की देखरेख करते थे, ने 6 जून को इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में कथित घोटाले की जांच के सिलसिले में बी. नागेंद्र की गिरफ्तारी की गई है, जिसमें कथित तौर पर 88 करोड़ रुपये तक की धनराशि का गबन किया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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