मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक 8 साल के एक बच्चे की हार्ट अटैक से मौत हो गई. दरअसल दो भाई स्कूल की छुट्टी के बाद जब घर लौट रहे थे, उसी समय बच्चे को चक्कर आया. आनन-फ़ानन में बच्चे के पिता और शिक्षक उसे जिला चिकित्सालय लेकर गए लेकिन डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. डॉक्टर का कहना था कि बच्चे की 15 मिनट पहले ही मौत हो चुकी है.
भिंड के जामना रोड निवासी कोमल जाटव का बेटा मनीष घर से इटावा रोड स्थित निजी स्कूल पड़ने गया था. जब वह स्कूल से छुट्टी होने पर घर जाने के लिए बस में चढ़ा तो सीट पर बैठते-बैठते ही अचानक बेहोश हो कर गिर पड़ा जिसके बाद बस ड्राइवर ने स्कूल प्रिंसिपल को सूचित किया और उसे होश में लाने की कोशिश भी की गई. लेकिन वह होश में नहीं आया. जिसके बाद तुरंत छात्र के परिवार को सूचना दी गई और से लेकर प्रबंधन और परिजन जिला अस्पताल पहुँचे जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया.
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जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गोयल ने बताया कि अस्पताल आने से पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी. चूँकि ये सडन डेथ का मामला था जो ज्यादातर कार्डियेक अरेस्ट की वजह से होती है. ऐसे में जो भी लक्षण बताये गए वे कार्डियेक अरेस्ट के हैं, इसलिए हार्ट अटैक से उसकी मौत की पूरी संभावना है.
सिविल सर्जन डॉ अनिल गोयल कहते है कि कोरोना के बाद से यह स्टडी में भी आया है कि कोरोना से अफेक्टेड हुए मरीजों में बायोपैथी हुई यानी कार्डियेक या मसल्स को प्रॉब्लम आयी है. जिससे कार्डियेक अरेस्ट का खतरा बहुत ज़्यादा है. इसकी वजह से भी ये अटैक आ सकते हैं. हालाँकि इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक आना काफ़ी चिंता का विषय है. बच्चे के परिजन ने पोस्टमार्टम तो नहीं कराया लेकिन अब डॉक्टर्स की टीम उनके घर जाकर उनके परिवार से मिलेगी उनकी फ़ैमिली मेडिकल हिस्ट्री को लेकर स्टडी करेगी.
जब इस मामले को लेकर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ आरके मिश्रा से बात की तो वे कहते हैं कि, इस केस में बच्चा जब आया तो उसकी मौत हो चुकी थी. सडन डेथ के केस नवजात से लेकर बड़े बच्चों में भी देखने को मिलते हैं. छोटे बच्चों में इसे सिट्स कहा जाता है. इसके पीछे का मुख्य कारण बच्चे के सोते समय उसके स्वास नली में सलाईवा या दूध चला जाता है, जिसकी वजह से उनकी अचानक मौत हो जाती है. चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ आरके मिश्रा मानते हैं कि बड़े बच्चे की सडन डेथ के कोई भी कारण हो सकते है.
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