देश

‘मैरिटल रेप मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में जल्द हो सुनवाई’, सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की मांग

मैरिटल रेप मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग को लेकर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई के समक्ष एक बार फिर मेंशन किया. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मैरिटल रेप गंभीर मामला है, इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए. आज मामला लगा हुआ है, लेकिन आने की उम्मीद नहीं है.

वहीं, कोर्ट को यह भी बताया गया है कि इस मामले में केंद्र सरकार के तरफ से अभी तक जवाब दाखिल नही किया गया है. जिसके बाद सीजेआई ने कहा कि अगर केंद्र जवाब दाखिल करना नही चाहता है तो कानूनी दलीलें पेश करे.

बता दें कि राजस्थान सरकार की भी हस्तक्षेप अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. राजस्थान सरकार ने पूरे मामले में अपना पक्ष रखने की मांग की है. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि यह महिलाओं के प्रति हिंसा से जुड़ा मामला है, ऐसे में इन्टरविनर के रूप में राजस्थान का भी पक्ष सुना जाए. राज्य सरकार की ओर से दायर प्रार्थना पत्र में कहा है कि भारतीय दंड संहिता में पति अपनी 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी से संबंध बनाता है तो वह बलात्कार नहीं है.

प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि यह मुद्दा महिलाओं के अधिकारों व आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़ा बुआ है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महिलाओं को प्रभावित करेगा। राज्य सरकार वैवाहिक बलात्कार के पीड़ितों के हितों का.  प्रतिनिधित्व करना चाहती है. प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि वैवाहिक बलात्कार से संबंधित कानूनी प्रावधान की संवैधनिकता और सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक परिस्थितियों पर राज्य अपना दृष्टिकोण पेश करना चाहता है.

वर्तमान में इस कानून के मुताबिक अगर पति अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाता है, बशर्ते वह 15 साल से कम उम्र की न हो, तो यह बलात्कार नही है. वही 1 जुलाई से आईपीसी की धारा 63 के अपवाद 2 में कहा गया है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग या अन्य यौन कृत्यों को बलात्कार नही माना जाएगा जबतक की पत्नी 18 वर्ष से कम न हो. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि मैरिटल रेप अपराध है या नही। भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नही है. इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की मांग लंबे अरसे से जारी है.

दिल्ली हाइकोर्ट में आईपीसी की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधनिकता तौर पर चुनौती दी गई. बता दें कि साल 2011 अगस्त में केरल हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है. लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है. हालांकि केरल हाई कोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इंकार कर दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं है. अगर कोई पति पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल संबंध बनाता है तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है, लेकिन इसके लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं है. 2017 में केंद्र सरकार ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी. ये तर्क भी दिया गया कि ये पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है.

– भारत एक्‍सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

नवंबर में सूर्य-शनि समेत ये ग्रह बदलेंगे चाल, इन 3 राशि वालों की धन से भर जाएगी तिजोरी!

Grah Gochar November 2024: नवंबर का महीना ग्रह-गोचर के नजरिए से बेहद खास है. इस…

16 mins ago

दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में खालिद सैफी को दिल्ली हाईकोर्ट से लगा झटका, मुकदमा खत्म करने की मांग वाली याचिका हुई खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. जनवरी में निचली अदालत…

41 mins ago

CJI की अध्यक्षता वाली 9 जजों की पीठ ने सुनाया फैसला, हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह सकते

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह…

1 hour ago

सुप्रीम कोर्ट ने UP मदरसा कानून को बताया संवैधानिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला पलटा

उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ रहे लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम…

1 hour ago