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Muzaffarnagar: पैसा न होने पर बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर पाई बुजुर्ग मां, शव लेकर रात भर श्मशान घाट के बाहर बैठी रही

वरुण शर्मा

Muzaffarnagar: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) से दिल दहला देने वाली खबर सामने आ रही है. पैसा न होने के कारण एक बुजुर्ग मां अपने बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर पाई और रात भर बेटे का शव लेकर श्मशान घाट के बाहर बैठी रही. इसकी जानकारी मिलने के बाद जिले में लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाली महिला शालू सैनी ने घाट पर पहुंचकर अंतिम संस्कार कराया.

जानकारी सामने आ रही है कि बुजुर्ग महिला का बेटा मजदूरी करता था. वह काफी दिनों से फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित था. उसका इलाज उसकी मां करा रही थी. मेरठ के मेडिकल कालेज में युवक का इलाज चल रहा था लेकिन वह ठीक नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई. इसके बाद मेरठ मेडिकल कालेज की एंबुलेंस महिला व उसके बेटे के शव को श्मशान घाट के बाहर छोड़कर चली गई थी, लेकिन बुजुर्ग महिला के पास पैसे न होने के कारण वह घाट से लकड़ियां नहीं खरीद सकी और फिर रात भर शव को लेकर वहीं बैठी रोती-बिलखती रही.

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इसकी सूचना मिलने के बाद लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाली महिला शालू सैनी पहुंचीं और युवक का अंतिम संस्कार कराया. यह मामला मुजफ्फरनगर नई मंडी क्षेत्र के शमशान घाट का है. इस दौरान एक बेबस बुजुर्ग मां का रो-रो कर बुरा हाल था. वह बार-बार बेहोश हो रही थी और बेसुध होकर बार-बार गिर पड़ रही थी. उसे शालू सैनी ने हिम्मत दी.

1000 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं शालू सैनी

बता दें कि मुजफ्फरनगर में शालू सैनी पिछले 3 वर्षो से लावारिस शवों की वारिस बनकर उनका अंतिम संस्कार करा रही हैं. वह अब तक एक हजार से अधिक लाशों का अंतिम संस्कार करा चुकी हैं. बता दें कि वह खुद ही अंतिम संस्कार करती हैं. इसमें किसी का सहारा नहीं लेतीं. कोरोना के दौरान भी उन्होंने कई शवों का अंतिम संस्कार किया था. शालू सैनी की अनोखी मुहिम को देखते हुए उनकी प्रतिभा को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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