Narendra Modi: आज शाम को नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे और इसी के साथ ही उनकी तीसरा कार्यकाल शुरू हो जाएगा. माना जा रहा है कि जैसे ही नरेंद्र मोदी की ताजपोशी होगी वह अपने सहयोगियों के साथ देश हित में काम शुरू कर देंगे. तो वहीं ये भी कहा जा रहा है कि इस कार्यकाल में एनडीए सरकार कई बड़े फैसले ले सकती है. वैसे भी नरेंद्र मोदी पहले ही पहले ही कह चुके हैं कि पिछले 10 साल का कार्य तो सिर्फ ट्रेलर है.
बता दें कि मोदी के दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से धारा 370 का हटाना, राम मंदिर का निर्माण, नागरिकता अधिनियम कानून का लागू होना बड़े फैसलों के रूप में गिना जाता है. ऐसे में अब जब गठबंधन की सरकार है तो लोगों के दिमाग में एक ही सवाल चल रहा है कि एनडीए सरकार इस बार कौन से बड़े फैसले लेगी? इसके अलावा ये भी सवाल है कि क्या जिस तरह पूर्ण बहुमत की सरकार में मोदी पूरे हनक के साथ फैसला लेते थे, क्या ठीक उसी तरह वह गठबंधन की इस सरकार में ले पाएंगे? हालांकि जब नरेंद्र मोदी को एनडीए संसदीय दल का नेता चुना गया तब उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा था कि उनका तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों वाला होगा. पिछले 10 साल का कार्य तो सिर्फ ट्रेलर है.
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भारत में सभी के लिए एक समान कानून बनाना भाजपा के एजेंडे में रहा है. इसको लेकर पार्टी ने 2024 के घोषणापत्र में भी कहा था. तो वहीं भाजपा ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान भी इस मुद्दा बनाया था और फिर सरकार बनते ही इसे लागू भी कर दिया. तो वहीं माना जा रहा है कि एनडीए सरकार बनते ही मोदी इसको लेकर आगे काम बढ़ा सकते हैं लेकिन इस बार गठबंधन की सरकार होने के कारण सभी की सहमति भी जरूरी होगी.
नरेंद्र मोदी ने इस चुनावी कार्यक्रमों में यह बात हमेशा कही है कि तीसरे कार्यकाल में बड़े फैसलों के लिए ‘मोदी की गारंटी’ पूरी की जाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि तीसरे कार्यकाल में केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत को बड़े आकार में आगे बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा भाजपा ने आयुष्मान भारत के कवरेज को 70 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजेंडर समुदाय को शामिल करने के लिए आगे बढ़ाने का भी वादा किया था.
भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में एक देश एक चुनाव का भी वादा किया था. नरेंद्र मोदी ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का जिक्र किया था. इसको लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट भी राष्ट्रपति को सौंप दी है. अब तीसरे कार्यकाल में एनडीए सरकार इसे लागू करने की ओर कदम बढ़ा सकती है. एनडीए सरकार में प्रमुख दल बन चुकी जदयू ने भी इस पर अपना समर्थन जताया है. बता दें कि एक देश एक चुनाव की बहस 2018 में विधि आयोग के एक मसौदा रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थी. उस रिपोर्ट में आर्थिक कारणों को गिनाया गया था और आयोग ने कहा था कि 2014 में लोकसभा चुनावों का खर्च और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों का खर्च लगभग समान रहा है. तो आयोग ने ये भी कहा था कि अगर साथ में ये चुनाव होते हैं तो यह खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा.
नरेंद्र मोदी पहले कई बार अपने भाषणों में भारत की वैश्विक नेता के रूप में स्थिति को मजबूत करने पर जोर दे चुके हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि वह अपने तीसरे कार्यकाल में विदेश नीति के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ेंगे औऱ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की लंबे समय से प्रतीक्षित स्थायी सदस्यता को साकार करने का प्रयास करेंगे. हालांकि नई सरकार के लिए यूएनएससी में सुधार करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा क्योंकि स्थायी सदस्य चीन अक्सर भारत को इसमें शामिल करने का विरोध करता आया है. विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार यूएनएससी की सदस्यता पर जोर देगी, लेकिन इस प्रयास में संयुक्त राष्ट्र में सुधार भी शामिल है.
-भारत एक्सप्रेस
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