New Parliament Carpet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने रविवार (28 मई) को राजधानी दिल्ली स्थित नए संसद भवन का उद्घाटन किया. तभी से नयी संसद के बारे में हर कोई चर्चा कर रहा है. संसद में लगे हरे रंग के फर्श ने हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित किया. अब ऐसा बताया जा रहा है कि यूपी के करीब 900 कारीगरों ने 10 लाख घंटे तक बुनाई करके इस कालीन को तैयार किया है. परियोजना के पीछे 100 साल से अधिक पुरानी भारतीय कंपनी ओबीटी कालीन ने कहा कि बुनकरों ने लोकसभा और राज्यसभा के लिए प्रत्येक के लिए 150 से अधिक कालीन तैयार किए. फिर उनकी 35,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैले दोनों सदनों की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-सर्कल के रूप में सिलाई काम शुरू किया.
बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट तक के प्रत्येक हॉल के लिए कालीन तैयार करना था. इसने डिजाइन टीम के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश की, क्योंकि उन्हें सावधानीपूर्वक अलग-अलग टुकड़ों में कालीन बनाना था और उन्हें एक साथ जोड़ना था, यह सुनिश्चित करना था कि रचनात्मक महारत ओबीटी कार्पेट के अध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने कहा, “बुनकरों ने एक एकीकृत कालीन बनाने के लिए सामंजस्यपूर्ण रूप से मिश्रित किया, जिसके की आने जाने वाले लोगों के बावजूद कारपेट खराब न हो.
जबकि राज्य सभा में उपयोग किए जाने वाले रंग मुख्य रूप से कोकम लाल रंग से प्रेरित होते हैं, लोक सभा का स्वरूप भारतीय एगेव हरे रंग पर आधारित होता है, जो भारतीय मोर के पंखों से प्रेरणा लेता है. कारीगरों की कला पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “600 मिलियन से अधिक गांठों” वाले कालीनों को बनाने के लिए “120 नॉट प्रति वर्ग इंच” बुने गए थे. उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जिलों के रहने वाले बुनकरों ने नए संसद भवन के ऊपरी और निचले सदनों को कालीन बनाने के लिए “10 लाख मानव-घंटे” का भारी खर्च किया है.
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