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अब मगरमच्छ (भ्रष्ट) पकड़े जाने लगे हैं तो हमसे पूछा जा रहा है कि मगरमच्छों को क्यों पकड़ते हो: इंटरव्यू में बोले PM Modi

लोकसभा चुनाव के छह चरणों के मतदान समाप्त हो चुके हैं. अब सिर्फ आखिरी यानी 7वें चरण का मतदान 1 जून को होगा. इसके बाद 4 जून को मतगणना होगी और पता चल जाएगा कि देश की बागडोर किसके हाथ में होगी. इस बीच चुनाव प्रचार में व्यस्त प्रधानमंत्री Narendra Modi ने समाचार एजेंसी IANS को एक इंटरव्यू दिया है. पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:

आजकल राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को पाकिस्तान से इतना प्रचार क्यों मिल रहा है? अनुच्छेद 370 खत्म करने के समय से लेकर आज तक हर मौके पर पाकिस्तान से उनके पक्ष में आवाजें आती हैं?

देखिए, चुनाव भारत का है और भारत का लोकतंत्र बहुत ही मेच्योर है, तंदरुस्त परंपराएं हैं और भारत के मतदाता भी बाहर की किसी भी हरकतों से प्रभावित होने वाले मतदाता नहीं हैं. मैं नहीं जानता हूं कि कुछ ही लोग हैं, जिनको हमारे साथ दुश्मनी रखने वाले लोग क्यों पसंद करते हैं, कुछ ही लोग हैं, जिनके समर्थन में आवाज वहां से क्यों उठती है. अब ये बहुत बड़ी जांच पड़ताल का यह गंभीर विषय है. मुझे नहीं लगता है कि मुझे जिस पद पर मैं बैठा हूं वहां से ऐसे विषयों पर कोई कमेंट करना चाहिए, लेकिन आपकी चिंता मैं समझ सकता हूं.

आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज करने की बात कही है, अगली सरकार जब आएगी तो आप क्या करने जा रहे हैं? क्या जनता से लूटा हुआ पैसा जनता तक किसी योजना या विशेष नीति के जरिये वापस पहुंचेगा?

आपका सवाल बहुत ही रिलेवेंट (प्रासंगिक) है, क्योंकि आप देखिए हिंदुस्तान का मानस क्या है, भारत के लोग भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं. दीमक की तरह भ्रष्टाचार देश की सारी व्यवस्थाओं को खोखला कर रहा है. भ्रष्टाचार के लिए आवाज भी बहुत उठती है. जब मैं 2013-14 में चुनाव के समय भाषण करता था और मैं भ्रष्टाचार की बातें बताता था तो लोग अपना रोष व्यक्त करते थे. लोग चाहते थे कि हां कुछ होना चाहिए.

अब हमने आकर सिस्टमैटिकली उन चीजों को करने पर बल दिया कि सिस्टम में ऐसे कौन से दोष हैं अगर देश पॉलिसी ड्रिवेन है, ब्लैक एंड ह्वाइट में चीजें उपलब्ध हैं कि भई ये कर सकते हो, ये नहीं कर सकते हो. तो हमने एक तो पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस पर बल दिया.

दूसरा हमने स्कीम्स के सैचुरेशन पर बल दिया कि भई 100% जो स्कीम जिसके लिए है, उन लाभार्थियों को 100% मिले. जब 100% है तो लोगों को पता है मुझे मिलने ही वाला है तो वो करप्शन के लिए कोई जगह ढूंढेगा नहीं. करप्शन करने वाले भी कर नहीं सकते, क्योंकि वो कैसे-कैसे कहेंगे, हां हो सकता है कि किसी को जनवरी में मिलने वाला मार्च में मिले या अप्रैल में मिले ये हो सकता है, लेकिन उसको पता है कि मिलेगा और मेरे हिसाब से सैचुरेशन करप्शन फ्री गवर्नेंस की गारंटी देता है. सैचुरेशन सोशल जस्टिस की गारंटी देता है. सैचुरेशन सेकुलरिज्म की गारंटी देता है.

तीसरा मेरा प्रयास रहा कि मैक्सिमम टेक्नोलॉजी का उपयोग करना, क्योंकि इसमें रिकॉर्ड मेंटेन होते हैं, ट्रांसपेरेंसी रहती है. अब डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर में 38 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हमने. अगर राजीव गांधी के जमाने की बात करें कि एक रुपया जाता है, 15 पैसा पहुंचता है तो 38 लाख करोड़ तो हो सकता है 25-30 लाख करोड़ रुपये ऐसे ही गबन हो जाते तो हमने टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया है.

जहां तक करप्शन का सवाल है देश में पहले क्या आवाज उठती थी कि भई करप्शन तो हुआ, लेकिन उन्होंने किसी छोटे आदमी को सूली पर चढ़ा दिया. सामान्य रूप से मीडिया में भी चर्चा होती थी कि बड़े-बड़े मगरमच्छ (भ्रष्ट) तो छूट जाते हैं, छोटे-छोटे लोगों को पकड़कर आप चीजें निपटा देते हो. फिर एक कालखंड ऐसा आया कि हमें पूछा जाता था 2019 के पहले कि आप तो बड़ी-बड़ी बातें करते थे क्यों कदम नहीं उठाते हो, क्यों अरेस्ट नहीं करते हो, क्यों लोगों को ये नहीं करते हो.

हम कहते थे भई, ये हमारा काम नहीं है, ये स्वतंत्र एजेंसी कर रही है और हम बद-इरादे से कुछ नहीं करेंगे. जो भी होगा हमारी सूचना यही है Zero Tolerance, दूसरा तथ्यों के आधार पर ये एक्शन होना चाहिए, परसेप्शन के आधार पर नहीं होना चाहिए. तथ्य जुटाने में मेहनत करनी पड़ती है. अफसरों ने मेहनत भी की अब मगरमच्छ पकड़े जाने लगे हैं तो हमें सवाल पूछा जा रहा है कि मगरमच्छों को क्यों पकड़ते हो.

ये समझ में नहीं आता है कि ये कौन सा गैंग है, खान मार्केट गैंग जो कुछ लोगों को बचाने के लिए इस प्रकार के नैरेटिव गढ़ती है. पहले आप ही कहते थे छोटों को पकड़ते हो बड़े छूट जाते हैं. जब सिस्टम ईमानदारी से काम करने लगा, बड़े लोग पकड़े जाने लगे तब आप चिल्लाने लगे हो.

दूसरा पकड़ने का काम एक इंडिपेंडेंट एजेंसी करती है. उसको जेल में रखना कि बाहर रखना, उसके ऊपर केस ठीक है या नहीं है, ये न्यायालय तय करता है, उसमें मोदी का कोई रोल नहीं है, इलेक्टेड बॉडी का कोई रोल नहीं है, लेकिन आजकल मैं हैरान हूं.

दूसरा जो देश के लिए चिंता का विषय है वो भ्रष्ट लोगों का महिमामंडन है. हमारे देश में कभी भी भ्रष्टाचार में पकड़े गए लोग या किसी को आरोप भी लगा तो लोग 100 कदम दूर रहते थे. आजकल तो भ्रष्ट लोगों को कंधे पर बैठाकर नाचने का फैशन हो गया है.

तीसरी प्रॉब्लम है, जो लोग कल तक जिन बातों की वकालत करते थे, आज अगर वही चीजें हो रही हैं तो वो उसका विरोध कर रहे हैं. पहले तो वही लोग कहते थे सोनिया जी को जेल में बंद कर दो, फलाने को जेल में बंद कर दो और अब वही लोग चिल्लाते हैं. इसलिए मैं मानता हूं आप जैसे मीडिया का काम है कि लोगों से पूछे कि बताइए छोटे लोग जेल जाने चाहिए या मगरमच्छ जेल जाने चाहिए. पूछो जरा पब्लिक को क्या ओपिनियन है, ओपिनियन बनाइए आप लोग.

नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सबने गरीबी हटाने की बात तो की, लेकिन आपने आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिया, इसे लेकर कैसे रणनीति तैयार करते हैं, चाहे वो पीएम स्वनिधि योजना हो, पीएम मुद्रा योजना बनाना हो या विश्वकर्मा योजना हो मतलब एकदम ग्रासरूट लेवल से काम किया?

देखिए हमारे देश में जो नैरेटिव गढ़ने वाले लोग हैं, उन्होंने देश का इतना नुकसान किया. पहले चीजें बाहर से आती थीं तो कहते थे देखिए देश को बेच रहे हैं, सब बाहर से लाते हैं. आज जब देश में बन रहा है तो कहते हैं देखिए ग्लोबलाइजेशन का जमाना है और आप लोग अपने ही देश की बातें करते हैं. मैं समझ नहीं पाता हूं कि देश को इस प्रकार से गुमराह करने वाले इन तत्वों से देश को कैसे बचाया जाए.

दूसरी बात है अगर अमेरिका में कोई कहता है Be American By American उस पर तो हम सीना तानकर गर्व करते हैं, लेकिन मोदी कहता है Vocal for Local तो लोगों को लगता है कि ये ग्लोबलाइजेशन के खिलाफ है. तो इस प्रकार से लोगों को गुमराह करने वाली ये प्रवृत्ति चलती है. जहां तक भारत जैसा देश जिसके पास मैनपावर है, स्किल्ड मैनपावर है. अब मैं ऐसी तो गलती नहीं कर सकता कि गेहूं निर्यात करूं और ब्रेड आयात करूं. मैं तो चाहूंगा मेरे देश में ही गेहूं का आटा निकले, मेरे देश में ही गेहूं का ब्रेड बने.

मेरे देश के लोगों को रोजगार मिले तो मेरा आत्मनिर्भर भारत का जो मिशन है, उसके पीछे मेरी पहली जो प्राथमिकता है कि मेरे देश के टैलेंट को अवसर मिले. मेरे देश के युवाओं को रोजगार मिले, मेरे देश का धन बाहर न जाए, मेरे देश में जो प्राकृतिक संसाधन हैं, उनका वैल्यू एडिशन हो, मेरे देश के अंदर किसान जो काम करता है, उसका जो प्रोडक्ट है उसका वैल्यू एडिशन हो, वो ग्लोबल मार्केट को कैप्चर करे.

और इसलिए मैंने विदेश विभाग को भी कहा है कि भई आपकी सफलता को मैं तीन आधारों से देखूंगा एक भारत से कितना सामान आप, जिस देश में हैं वहां पर खरीदा जाता है, दूसरा उस देश में बेस्ट टेक्नोलॉजी कौन सी है जो अभी तक भारत में नहीं है. वो टेक्नोलॉजी भारत में कैसे आ सकती है और तीसरा उस देश में से कितने टूरिस्ट भारत भेजते हो आप, ये मेरा क्राइटेरिया रहेगा… तो मेरे हर चीज के सेंटर में मेरा नेशन होता है, मेरा भारत और Nation First इस मिजाज से हम काम करते हैं.

एक तरफ आप विश्वकर्माओं के बारे में सोचते हैं, नाई, लोहार, सुनार, मोची की जरूरतों को समझते हैं उनसे मिलते हैं तो दूसरी तरफ गेमर्स से मिलते हैं, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की बात करते हैं, इन्फ्लुएंसर्स से मिलते हैं, इनकी अहमियत को भी सबके सामने रखते हैं, इतना डायवर्सीफाई तरीके से कैसे सोच पाते हैं?

आप देखिए, भारत विविधताओं से भरा हुआ है और कोई देश एक पिलर पर बड़ा नहीं हो सकता है. मैंने एक मिशन लिया. हर जिले के हिसाब से वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट पर बल दिया, क्यों? भारत इतना विविधता भरा देश है, हर जिले के पास अपनी अलग ताकत है. मैं चाहता हूं कि इसको हम लोगों के सामने लाएं और आज मैं कभी विदेश जाता हूं तो मुझे चीजें कौन सी ले जाऊंगा. वो उलझन नहीं होती है. मैं सिर्फ वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट का कैटलॉग देखता हूं.

तो मुझे लगता है यूरोप जाऊंगा तो यह लेकर जाऊंगा. अफ्रीका जाऊंगा तो यह लेकर जाऊंगा. और हर एक को लगता है एक देश में. यह एक पहलू है दूसरा हमने जी20 समिट हिंदुस्तान के अलग-अलग हिस्से में की है, क्यों? दुनिया को पता चले कि दिल्ली, यही हिंदुस्तान नहीं है. अब आप ताजमहल देखें तो टूरिज्म पूरा नहीं होता जी मेरे देश का. मेरे देश में इतना पोटेंशियल है, मेरे देश को जानिए और समझिए और इस बार हमने जी20 का उपयोग भारत को विश्व के अंदर भारत की पहचान बनाने के लिए किया.

दुनिया की भारत के प्रति क्यूरियोसिटी बढ़े, इसमें हमने बड़ी सफलता पाई है, क्योंकि दुनिया के करीब एक लाख नीति निर्धारक ऐसे लोग जी20 समूह की 200 से ज्यादा मीटिंग में आए. वह अलग-अलग जगह पर गए. उन्होंने इन जगहों को देखा, सुना भी नहीं था, देखा वो अपने देश के साथ कोरिलेट करने लगे. वो वहां जाकर बातें करने लगे. मैं देख रहा हूं जी20 के कारण लोग आजकल काफी टूरिस्टों को यहां भेज रहे हैं, जिसके कारण हमारे देश का टूरिज्म को बढ़ावा मिला.

इसी तरह आपने देखा होगा कि मैंने स्टार्टअप वालों के साथ मीटिंग की थी, मैं वर्कशॉप करता था. आज से मैं 7-8 साल पहले, 10 साल पहले शुरू-शुरू में यानी मैं 2014 में आया. मैंने अलग-अलग वर्कशॉप की. कभी मैंने स्पोर्ट्स पर्सन्स के साथ की, कभी मैंने कोचों के साथ की, इतना ही नहीं मैंने फिल्मी दुनिया वालों के साथ भी ऐसी मीटिंग की.

मैं जानता हूं कि वह बिरादरी हमारे विचारों से काफी दूर है. मेरी सरकार से भी दूर है, लेकिन मेरा काम था उनकी समस्याओं को समझो, क्योंकि बॉलीवुड अगर ग्लोबल मार्केट में उपयोगी होता है, अगर मेरी तेलुगू फिल्में दुनिया में पॉपुलर हो सकती है, मेरी तमिल फिल्में दुनिया पॉपुलर हो सकती है. मुझे तो ग्लोबल मार्केट लेना था, मेरे देश की हर चीज का.

आज यूट्यूब की दुनिया पैदा हुई तो मैंने उनको बुलाया. आप देश की क्या मदद कर सकते हैं. इंफ्लुएंसर को बुलाया, क्रिएटिव वर्ल्ड, गेमिंम… अब देखिए दुनिया का इतना बड़ा गेमिंग मार्केट. भारत के लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं, पैसा लगा रहे हैं और गेमिंग की दुनिया में कमाई कोई और करता है तो मैंने सारे गेमिंग के एक्सपर्ट को बुलाया. पहले उनकी समस्याएं समझीं. मैंने देश को कहा कि मेरी सरकार को मुझे गेमिंग में भारतीय लीडरशिप पक्की करनी है.

इतना बड़ा फ्यूचर मार्केट है, अब तो ओलंपिक में गेमिंग आया है तो मैं उसमें जोड़ना चाहता हूं. ऐसे सभी विषयों में एक साथ काम करने के पक्ष में मैं हूं. उसी प्रकार से देश की जो मूलभूत व्यवस्थाएं हैं, आप उसको नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. गांव का एक मोची होगा, सोनार होगा, कपड़े सिलने वाला होगा, वो भी मेरे देश की बहुत बड़ी शक्ति है. मुझे उसको भी उतना ही तवज्जो देना होगा और इसलिए मेरी सरकार का इंटीग्रेटेड अप्रोच होता है. कॉम्प्रिहेंसिव अप्रोच होता है, होलिस्टिक अप्रोच होता है.

Digital India और Make In India का विपक्ष ने मजाक भी उड़ाया था, आज ये आपकी सरकार की खास पहचान बन गए हैं और दुनिया भी इस बात का संज्ञान ले रही है, इसका एक उदहारण यूपीआई भी है.

यह बात सही है कि हमारे देश में जोDigital India Movement मैंने शुरू किया तो शुरू में आरोप क्या लगाए इन्होंने? उन्होंने आरोप लगाया कि ये जो सर्विस प्रोवाइडर हैं, ये उनकी भलाई के लिए हो रहा है. इनको समझ नहीं आया कि यह क्षेत्र कितना बड़ा है और 21वीं सदी एक टेक्नॉलॉजी ड्रिवेन सेंचुरी है. टेक्नोलॉजी आईटी ड्रिवन है. आईटी इन्फोर्स बाय AI. बहुत बड़े प्रभावी क्षेत्र बदलते जा रहे हैं.

हमें फ्यूचरस्टीक चीजों को देखना चाहिए. आज अगर UPI न होता तो कोई मुझे बताएं कोविड की लड़ाई हम कैसे लड़ते? दुनिया के समृद्ध देश भी अपने लोगों को पैसे होने के बावजूद भी नहीं दे पाए. हम आराम से दे सकते हैं. आज हम 11 करोड़ किसानों को 30 सेकंड के अंदर पैसा भेज सकते हैं. हमारे देश के नौजवानों में यह टैलेंट है. वो ऐसे प्रोडक्ट बना करके देते हैं कि कोई भी कॉमन मैन इसका उपयोग कर सकता है.

तो UPI ने एक प्रकार से फिनटेक की दुनिया में बहुत बड़ा रोल प्ले किया है और इसके कारण इन दिनों भारत के साथ जुड़े हुए कई देश UPI से जुड़ने को तैयार हैं, क्योंकि अब फिनटेक का युग है. फिनटेक में भारत अब लीड कर रहा है और इसलिए दुर्भाग्य तो इस बात का है कि जब मैं इस विषय को चर्चा कर रहा था, तब देश के बड़े-बड़े विद्वान जो पार्लियामेंट में बैठे हैं, वह इसका मखौल उड़ाते थे, मजाक उड़ाते थे, उनको भारत के पोटेंशियल का अंदाजा नहीं था और टेक्नोलॉजी के सामर्थ्य का भी अंदाज नहीं था.

देश के युवा भारत का इतिहास लिखेंगे, ऐसा आप कई बार बोल चुके हैं, First Time Voters का पीएम मोदी से कनेक्ट के पीछे का क्या कारण है?

एक, मैं उनके एस्पिरेशन को समझ पाता हूं. जो पुरानी सोच है कि वह घर में अपने पहले पांच थे तो अब 7 में जाएगा सात से नौ, ऐसा नहीं है. वह पांच से भी सीधा 100 पर जाना चाहता है. आज का यूथ हर क्षेत्र में वह बड़ा जंप लगाना चाहता है. हमें वह लॉन्चिंग पैड क्रिएट करना चाहिए, ताकि हमारे यूथ के एस्पिरेशन को हम फुलफिल कर सकें. इसलिए यूथ को समझना चाहिए. मैं परीक्षा पर चर्चा करता हूं और मैंने देखा है कि मुझे लाखों युवकों से बात करने का मौका मिलता है.

वह मेरे साथ 10 साल के बाद की बात करता है. मतलब वह एक नई जनरेशन है. अगर सरकार और सरकार की लीडरशिप इस नई जनरेशन के एस्पिरेशन को समझने में विफल हो गई तो बहुत बड़ा गैप हो जाएगा. आपने देखा होगा कोविड में मैं बार-बार चिंतित था कि मेरे यह फर्स्ट टाइम वोटर जो अभी हैं, वह कोविड के समय में 14-15 साल के थे, अगर यह चार दीवारों में फंसे रहेंगे तो इनका बचपन मर जाएगा. उनकी जवानी आएगी नहीं. वह बचपन से सीधे बुढ़ापे में चला जाएगा. यह गैप कौन भरेगा?

तो मैं उसके लिए चिंतित था. मैं उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात करता था. मैं उनको समझाता था कि आप यह करिए और इसलिए हमने डेटा एकदम सस्ता कर दिया. उस समय मेरा डेटा सस्ता करने के पीछे लॉजिक था. वह ईजिली इंटरनेट का उपयोग करते हुए नई दुनिया की तरफ मुड़े और वह हुआ. उसका हमें बेनिफिट हुआ है.

भारत ने कोविड की मुसीबतों को अवसर में पलटने में बहुत बड़ा रोल किया है और आज जो डिजिटल रिवोल्यूशन आया है, फिनटेक का जो रिवोल्यूशन आया है, वह हमने आपत्ति को अवसर में पलटा उसके कारण आया है तो मैं टेक्नोलॉजी के सामर्थ्य को समझता हूं. मैं टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना चाहता हूं.

-भारत एक्सप्रेस

Rohit Rai

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