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Pahalgam Terror Attack: सुरक्षा चूक और राजनीतिक तूफान, सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमला एक बार फिर से देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर गया है. न केवल इस हमले ने आम नागरिकों की जान ली, बल्कि देश के राजनीतिक माहौल में भी भूचाल ला दिया. इस हमले ने सत्ता और विपक्ष दोनों को अपने-अपने तरीके से सक्रिय कर दिया है — एक ओर सरकार कार्रवाई का भरोसा दे रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष जवाबदेही की मांग कर रहा है.

समर्थन के साथ तीखे सवाल

हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी राजनीतिक दलों के साथ एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई. इस बैठक में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाते हुए सरकार को समर्थन का भरोसा दिया. लेकिन समर्थन के इस संदेश के पीछे विपक्ष ने सरकार की नीतियों और सुरक्षा इंतजामों पर सवाल उठाने की भी तैयारी कर ली है.

सूत्र बताते हैं कि विपक्षी पार्टियां संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही हैं, ताकि इस गंभीर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हो सके और सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा सके. विपक्षी नेता यह मानते हैं कि जनता को जवाब चाहिए — केवल भरोसे से काम नहीं चलेगा. कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर तीखे सवाल दागे हैं:

  • आखिर सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
  • इंटेलिजेंस एजेंसियों की विफलता का जिम्मेदार कौन है?
  • आतंकी इतनी गहरी घुसपैठ कैसे कर पाए?
  • 28 नागरिकों की मौत के लिए जवाबदेही कौन लेगा?
  • क्या गृहमंत्री इस्तीफा देंगे?
  • क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हमले की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे?

इसके साथ ही कांग्रेस ने एक बड़ा आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में 51 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 35 सैनिकों और 56 नागरिकों की जान गई है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार आतंकवाद पर काबू पाने में नाकाम रही है और आम नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है.

आतंकियों को दिया जाएगा मुंहतोड़ जवाब

सरकार ने हमले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है. गृहमंत्री और रक्षा मंत्रालय दोनों ने कहा है कि आतंकियों को उनकी हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. साथ ही, सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. हालांकि, विपक्ष का दबाव और जनता का गुस्सा देखते हुए अब सरकार के लिए केवल आश्वासन देना काफी नहीं होगा. उसे ठोस कदम उठाने होंगे और सुरक्षा व्यवस्था में चूक की गंभीरता से समीक्षा करनी होगी.

पहलगाम हमले ने सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल नहीं उठाए हैं, बल्कि राजनीतिक वर्ग की जिम्मेदारी भी उजागर की है. विपक्ष विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा है, जबकि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर सतर्कता बरत रही है. आने वाले दिनों में संसद में यदि विशेष सत्र बुलाया जाता है तो यह देखना रोचक होगा कि सरकार किस तरह से अपने कदमों का बचाव करती है और विपक्ष किस तरह से इसे राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बनाता है.

यह स्पष्ट है कि पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक जवाबदेही और लोकतांत्रिक विमर्श का भी एक महत्वपूर्ण मोड़ बन चुका है.

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट पर रोक लगाने की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा

-भारत एक्सप्रेस

प्रशांत त्यागी, वरिष्ठ संवाददाता दिल्ली

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