जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) विरोध प्रदर्शन के लिए पटना में गिरफ्तार किया गया. इसके बाद जमानत समझौते की शर्तों पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बाद जेल भेज दिया गया. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर BPSC की परीक्षा में पेपर लीक होने के आरोपों के बाद उसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं. सोमवार (6 जनवरी) को उनकी भूख हड़ताल का पांचवां दिन था.
पुलिस के अनुसार, विरोध प्रदर्शन को अवैध माना गया क्योंकि यह प्रतिबंधित क्षेत्र में हुआ था. पटना के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा है कि बार-बार नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों से प्रदर्शन को गर्दनी बाग स्थित निर्दिष्ट विरोध स्थल पर स्थानांतरित करने का आग्रह किया गया था. किशोर और 43 समर्थकों को हिरासत में लिया गया और कार्रवाई के दौरान ट्रैक्टर सहित वाहनों को जब्त कर लिया गया.
अदालत ने उन्हें इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह भविष्य में किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे और 25,000 रुपये का बॉन्ड भरेंगे. हालांकि, उनके वकील के अनुसार, किशोर ने बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया.
प्रशांत किशोर के वकील शिवानंद गिरि ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘मैंने जमानत याचिका पेश की और बहस के बाद उन्हें इस शर्त के साथ जमानत दी गई कि वह भविष्य में इस तरह के अपराधों (किसी भी हड़ताल या विरोध प्रदर्शन) में शामिल नहीं होंगे और 25,000 रुपये का बॉन्ड भरने की शर्त से वह (प्रशांत किशोर) सहमत नहीं थे. इसलिए अदालत ने कहा, उसके पास आदेश की समीक्षा करने का अधिकार नहीं है और अगर वह शर्त से सहमत नहीं हैं, तो वह उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटा सकते हैं.’
पुलिस ने प्रशांत किशोर के साथ मारपीट के आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि केवल उनके समर्थकों को ही बलपूर्वक हटाया गया, जिन्होंने गिरफ्तारी का विरोध किया था. समर्थकों का दावा है कि गिरफ्तारी के दौरान प्रशांत किशोर को थप्पड़ मारे गए और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया0 उन्हें मेडिकल चेक-अप के लिए पटना एम्स ले जाया गया, लेकिन शुरू में उन्होंने जांच कराने से मना कर दिया.
हिरासत के दौरान पुलिस ने प्रशांत किशोर को एंबुलेंस में बिठाया. गिरफ्तारी से पहले उन्होंने बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताओं के संबंध में 7 जनवरी को हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की योजना की घोषणा की थी. बीते 2 जनवरी को प्रशांत किशोर ने बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आमरण अनशन शुरू किया था. गिरफ्तारी के बाद पटना पुलिस और किशोर के समर्थकों के बीच झड़पें हुई थीं.
बीपीएससी ने विवाद से प्रभावित चुनिंदा उम्मीदवारों के लिए 4 जनवरी को दोबारा परीक्षा आयोजित की. 12,012 उम्मीदवारों में से केवल 5,943 ही परीक्षा में शामिल हुए. यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है, जहां याचिकाकर्ता 13 दिसंबर 2024 की परीक्षा को रद्द करने और प्रदर्शनकारियों पर कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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