India Alliance and Congress Leadership: 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटों पर रोकने के बाद कांग्रेस अब इंडिया गठबंधन में कहीं न कहीं जूझता नजर आने लगा है. शुरुआती उम्मीदों के बीच कांग्रेस खुद को विपक्षी दलों के प्रमुख के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही थी. लेकिन, साल खत्म होते-होते विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम और मुद्दों पर मतभेद ने गठबंधन के भीतर असंतोष को हवा दी है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी ने कांग्रेस के नेतृत्व पर सीधा सवाल उठाया. विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन से असंतुष्ट ममता ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व खुद संभालने की मांग कर दी. अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के आक्रामक रुख से टीएमसी ने दूरी बना ली और राहुल गांधी के ईवीएम पर उठाए सवालों को भी अभिषेक बनर्जी ने खारिज कर दिया. टीएमसी ने इंडिया गठबंधन की फ्लोर लीडर्स की बैठकों में जाना भी बंद कर दिया, जिससे कांग्रेस के लिए नए सवाल खड़े हुए.
उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के रिश्ते शुरू से ही तनावपूर्ण रहे हैं. हरियाणा में कांग्रेस का शून्य प्रदर्शन और महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे पर सपा नाराज दिखी. यूपी में उपचुनावों में सपा के रुख के चलते कांग्रेस ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया. संसद में संभल का मुद्दा उठाने की सपा की मांग को भी कांग्रेस ने नकारते हुए अडानी पर ध्यान केंद्रित रखा.
महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच तनाव का कारण सावरकर रहा, सावरकर पर राहुल गांधी के बयान ने शिवसेना को असहज स्थिति में डाल दिया. पार्टी के भीतर कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण हिंदुत्व वोट के नुकसान को लेकर आवाजें उठीं.
एनसीपी के नेता शरद पवार, जो गठबंधन में संयमित भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं, विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन से निराश हैं. उन्होंने अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के आक्रामक रुख को गैर-जरूरी बताते हुए जनता से जुड़ाव न होने का तर्क दिया. लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लगातार अडानी पर हमलों ने एनसीपी और कांग्रेस के रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया.
दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच टकराव किसी से छिपा नहीं है. संसद में मोदी सरकार का विरोध दोनों दलों को एकजुट करता है, लेकिन चुनावी राजनीति में दोनों आमने-सामने हैं. पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस और आप के रिश्ते महज रणनीतिक दिखाई पड़ते है.
बिहार में कांग्रेस के प्रदर्शन से असंतुष्ट आरजेडी ने भी कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाए. लालू यादव ने ममता बनर्जी के नेतृत्व की मांग का समर्थन करते हुए कांग्रेस को स्पष्ट संदेश दिया. झामुमो और नेशनल कांफ्रेंस भी कई बार कांग्रेस को तीखे तेवर दिखा चुके हैं
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी अपने नेतृत्व को बरकरार रखते हुए गठबंधन के साथियों को न तो नाराज करना चाहती है और न ही झुकने के संकेत देना चाहते है। इंडिया गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती आपसी एकजुटता बनाए रखना है. कांग्रेस के लिए यह आवश्यक है कि वह नेतृत्व के साथ-साथ समन्वय पर भी काम करे.
-भारत एक्सप्रेस
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