Agriculture and Animal Husbandry In Gujrat: गुजरात में राजकोट जिले के गौपालक रमेश भाई रूपारेलिया देश के करोड़ों किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. कभी गरीबी से परेशान होकर मजदूरी करने वाले रूपारेलिया आज के दिन करोड़पति हैं और सौ से ज्यादा देशों में उनके उत्पाद बिकते हैं.
रमेश भाई रूपारेलिया देखने में आम गौपालक जैसे लगते हैं. लेकिन उनकी कहानी बेमिसाल है. सादा जीवन उच्च विचार वाले दर्शन को जीवन में उतारने वाले रमेश भाई अपने सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कमरतोड़ मेहनत में जुटे रहते हैं. लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था. महज सातवीं कक्षा पास रमेश भाई को एक समय बहुत गरीबी झेलनी पड़ी थी. पुश्तैनी जमीन तक बेचनी पड़ी थी.
रमेश भाई ने खेतों में मजदूरी की तो कभी दूसरों की गाय चराने का धंधा भी किया. साल 2010 में रमेश भाई ने किराए पर जमीन ली और खेती करना शुरू कर दिया. रासायनिक खाद खरीदने की उनकी हैसियत नहीं थी इसलिए गाय के गोबर पर आधारित कृषि करना शुरू किया. जंतु नाशक दवाओं की जगह प्राकृतिक तरीके से कीट नियंत्रण किया. धीरे धीरे सफलता मिलने लगी और इस तरीके से की गई खेती से रमेश भाई को लाखों का फायदा हुआ.
खेती से फायदा होने के बाद रमेश भाई ने चार एकड़ खुद की जमीन खरीदी और जैविक खेती के साथ-साथ गौ पालन का व्यवसाय शुरू कर दिया. रमेश भाई का दावा है कि गौ आधारित कृषि और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से किसान अपनी कमाई 20 गुना तक बढ़ा सकते हैं. आज इनके पास 250 से ज्यादा गीर गायें हैं. जिन्हें खिलाने का चारा भी पूरी तरह से प्राकृतिक होता है. इनकी गौशाला को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रमेश भाई की तारीफ कर चुके हैं. इनके यहां के दूध, छाछ ,मक्खन और घी को लोग हाथों हाथ लेते हैं. इनकी गौशाला में बने घी की खूब मांग है. एक विशेष प्रकार का घी तो 51 हजार रूपये प्रति किलो तक बिकता है. रमेश भाई ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन उन्होंने आधुनिक शिक्षा और तकनीक का महत्व समझा. शुरू-शुरू में उन्हें कम्प्यूटर सीखने में दिक्कत आई लेकिन आज वो कम्प्यूटर चलाने में माहिर हो चुके हैं.
रमेश भाई के पास आज खुद की वेबसाइट है, यूट्यूब चैनल है. अपने काम और उत्पाद का प्रचार-प्रसार करने के लिए वो सोशल मीडिया का जमकर सहारा लेते हैं. रमेश भाई के यहां आज करीब सौ लोग काम करते हैं. उनके यहां कई तरह के उत्पाद बनते हैं. जिनकी विदेशों में भारी मांग है. छोटे स्तर से शुरू हुआ उनका कारोबार आज 123 देशों तक फैल चुका है.
हर साल छह करोड़ तक का टर्न ओवर करने वाले रमेश भाई का सफर यहीं नहीं रूकने वाला है. वो चाहते हैं कि देश में उनकी तरह हजारों किसान पैदा हों. देसी गायों और सनातन परंपरा को उचित सम्मान मिले इसके लिए वो एक मॉडल पर काम कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि खेती किसानी से मुंह मोड़ चुके युवा उनके मॉडल को अपना कर समृद्धि और सम्मान हासिल करें.
गोंडल, राजकोट से नरेश शेखलिया की रिपोर्ट
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-भारत एक्सप्रेस
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