राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों, खासकर फलों, सब्जियों, मांस और मछली, तथा तेल और वसा की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति दर (महंगाई) बढ़कर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो 14 महीने का उच्चतम स्तर है. सितंबर में यह 5.49 प्रतिशत थी. एनएसओ के बयान में बताया गया है कि जुलाई 2023 के बाद पहली बार 14 महीने के अंतराल के बाद खाद्य मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में पहुंच गई है.
संयुक्त खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत के दोहरे अंक के स्तर पर पहुंच गई, जो 15 महीने का उच्चतम स्तर है, जबकि सितंबर में यह 9.24 प्रतिशत और एक साल पहले इसी अवधि में 6.61 प्रतिशत थी.
खुदरा महंगाई दर बढ़ने की वजह बीते महीने सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी को माना जा रहा है. अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
इसके अलावा खाद्य और पेय पदार्थ, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (संयुक्त) के कुल भार का 45.86 प्रतिशत हिस्सा है, ने सितंबर में 8.36 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में 9.69 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर दर्ज की. सब्जियों जैसे जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर सितंबर के 35.99 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में 42.18 प्रतिशत हो गई, जबकि फलों की मुद्रास्फीति दर 7.65 प्रतिशत से बढ़कर 8.43 प्रतिशत हो गई.
आधिकारिक बयान में कहा गया कि अक्टूबर महीने के दौरान दालों, अंडे, चीनी कन्फेक्शनरी और मसाले में महंगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है. अक्टूबर में उच्च खाद्य महंगाई दर की वजह मुख्य रूप से सब्जियों, फलों, तेल और वसा की कीमतों में वृद्धि होना है. बीते महीने के दौरान खाद्य तेलों की कीमतों में 9.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इससे कुल फूड प्राइस इंडेक्स में 10.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
सालाना आधार पर हाउसिंग महंगाई दर अक्टूबर में 2.81 प्रतिशत रही है. यह सितंबर में 2.72 प्रतिशत पर थी. अक्टूबर 2024 महीने के लिए ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी इंडेक्स और महंगाई दर क्रमशः 162.5 और 5.45 प्रतिशत रही है. सितंबर 2024 में संबंधित सूचकांक और महंगाई दर क्रमशः 162.4 और 5.39 प्रतिशत थी.
बीते कुछ महीनों में यह पहली बार है, जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय किए गए स्तर 6 प्रतिशत के ऊपर रही है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति रुख की ओर बढ़ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दर में तुरंत कटौती होगी.
एक मीडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में दर में कटौती होगी. उन्होंने आगे कहा था कि महंगाई के बढ़ने का अभी भी जोखिम बना हुआ है. ऐसे समय में ब्याज दरों में कटौती करना एक जोखिम भरा फैसला हो सकता है.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)
-भारत एक्सप्रेस
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