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मजहब की दीवार, परिवार में तकरार…जमाने से लड़कर रचाई शादी, अब सचिन-सारा की राहें अलग

Sachin Pilot Ki Love Story: सचिन पायलट राजनीति की दुनिया में एक लोकप्रिय शख्सियत रहे हैं. बचपन का जिद्द, जवानी की प्रेम कहानी हो या फिर अपनी शादी के लिए ससूर और साले को मनाने की बात ही क्यों नहीं. जो ठान लिया तो ठान लिया. सचिन पायलट की प्रेम कहानी किसी फिल्म से कम नहीं हैं. सचिन पायलट के साले हैं उमर अब्‍दुल्‍ला, ससुर हैं फारूक अब्‍दुल्‍ला. चाहे वह धर्म हो, सांस्कृतिक मतभेद हो, क्षेत्रीय राजनीति पर पारिवारिक दबाव हो. सारा-सचिन ने हर लड़ाई एक साथ लड़ी है. लेकिन अब सचिन और सारा अलग-अलग हैं. दोनों का तलाक हो गया है. इसका खुलासा पहली बार सचिन पायलट के हलफनामे से हुआ है.

तलाकशुदा हैं सचिन पायलट

दरअसल, इन दिनों राजस्थान में विधानसभा चुनाव का शोर है. सचिन पायलट भी टोंक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मंगलवार को उन्होंने नामांकन दाखिल किया. इस दौरान दिए शपथ पत्र में पत्नी के नाम के आगे उन्होंने तलाकशुदा लिखा. इसके बाद तो ये खबर मानो जंगल में आग की तरह फैल गई. सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है कि सचिन-सारा का तलाक हुआ कब? ऐसे में आइए जानते हैं कि इनकी लव-स्टोरी की शुरुआत कब और कहां हुई थी.

ऐसे शुरू हुई थी सचिन-सारा की प्रेम कहानी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों की मुलाकात अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्थित व्हार्टन स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी में हायर एजुकेशन हासिल करने के दौरान हुई थी. कुछ सालों तक डेट करने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया. लेकिन, सचिन हिंदू परिवार से हैं जबकि सारा एक कश्मीरी मुस्लिम हैं. इतना ही नहीं सारा नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी हैं.

लगातार विरोध के बावजूद यह प्रेमी जोड़ा अपने फैसले पर अड़ा रहा. अब्दुल्ला ने अंततः सचिन पायलट को अपने दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया. साल 2004 में दोनों की शादी हुई. सचिन और सारा के दो बेटे हैं, आरान और विहान.

यह भी पढ़ें: “सीजफायर के प्रस्ताव पर नहीं मिला भारत का साथ”, किस वजह से नाराज हुए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू

बीबीसी से राजनीति तक का सफर

सचिन ने सबसे पहले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के दिल्ली ब्यूरो में काम किया. उसके बाद दो साल तक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी जनरल मोटर्स में काम किया. उन्होंने 2004 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 26 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के सांसद बन गए. 2018 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने टोंक सीट से जीत हासिल की और राज्य में कांग्रेस की जीत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई. बाद में उन्होंने अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली. हाल के सालों में अशोक गहलोत और पायलट के बीच कुर्सी की जंग जारी है.

-भारत एक्सप्रेस

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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