Electoral Bond Issue: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मंगलवार (12 मार्च) को चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) से संबंधित सभी आंकड़े चुनाव आयोग (Election Commission) को सौंप दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजनीतिक दलों द्वारा गुमनाम रूप से खरीदे गए और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक के एसबीआई के अनुरोध को खारिज करने के एक दिन बाद बैंक ने यह कदम उठाया है.
सोशल साइट एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में चुनाव आयोग ने कहा, ‘एसबीआई को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में, जो उसके 15 फरवरी और 11 मार्च 2024 के आदेशों में शामिल थे, भारतीय स्टेट बैंक द्वारा आज 12 मार्च, 2024 को चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड पर डेटा प्रदान किया गया है.’
सोमवार (11 मार्च) को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एसबीआई को 12 मार्च को व्यावसायिक समय खत्म होने से पहले ये ब्योरा प्रस्तुत करने के लिए कहा था. इसके अलावा चुनाव आयोग को उसने 15 मार्च को शाम 5 बजे तक ये ब्योरा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया था.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड का ब्योरा देने में और समय देने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि ‘एसबीआई की दलीलों से संकेत मिलता है कि जानकारी आसानी से उपलब्ध है’.
सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा था कि आखिर एसबीआई को आंकड़े जुटाने में कहां दिक्कत आ रही है. पीठ ने कहा था, ‘पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? आपके आवेदन में इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है.’ इस पर एसबीआई ने कहा कि हमें आंकड़े देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन थोड़ा वक्त दे दिया जाए.
पीठ ने कहा था, ‘एसबीआई को 12 मार्च, 2024 के कामकाजी घंटों के खत्म होने तक इस जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया जाता है.’ साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग से 15 मार्च, 2024 को शाम 5 बजे से पहले जानकारी संकलित करने और अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विवरण प्रकाशित करने के लिए भी कहा था.
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था और SBI को 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक खरीदे गए बॉन्ड का विवरण 6 मार्च तक चुनाव आयोग को प्रस्तुत करने को कहा था. अदालत द्वारा ब्यारो देने समयसीमा से ठीक दो दिन पहले 4 मार्च को एसबीआई ने इसके लिए 30 जून तक का समय देने की मांग की थी.
चुनावी बॉन्ड योजना 2018 की शुरुआत में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई थी. इसके माध्यम से भारत में कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक दलों को गुमनाम दान दे सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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