Video: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के मऊकला गांव स्थित बुद्ध बिहार में रविवार को आयोजित 23वें बौद्ध महोत्सव के मंच से जमकर सियासी तीर दागे गए. बतौर मुख्य अतिथि सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने आधे घंटे के भाषण में 15 मिनट से अधिक समय तक रामचरितमानस की चौपाइयों, पंडों-पुजारियों, बीजेपी और संघ प्रमुख मोहन भागवत पर केंद्रित रखा.
स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस की चौपाइयों को लेकर भाजपा और एक वर्ग विशेष के लिए तीखे सवाल उठाए. वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से जातिवादी व्यवस्था को लेकर की गई टिप्पणी पर सवाल उठाने के साथ ही, उन्होंने साधू-संतों को आतंकवादी और कसाई का दर्जा दे डाला. वहीं महिलाओं के सम्मान के बहाने, नवरात्रि में शक्ति पूजा पर सवाल उठाते हुए, उसे नौटंकी तक कह डाला.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी…वाली चौपाई के जरिए नारी के सम्मान और स्वाभिमान का मसला उठाया. उन्होंने कहा कि मानस की चौपाइयों की आड़ में वर्षों से एक विशेष वर्ग, जाति और नारी को अपमानित किया जा रहा है. सपा नेता ने इस चौपाई की आड़ लेते हुए शक्ति आराधना के महापर्व नवरात्रि तक को नौटंकी का दर्जा दे डाला. स्वामी प्रसाद ने कहा कि मानस की इस चौपाई की आड़ में नारियों को अपमानित किया जा रहा है. पहले नारी यानी जिंदा देवी के सम्मान-स्वाभिमान की रक्षा होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर नवरात्रि के नाम पर नारी शक्ति यानी देवी पूजा की नौटंकी बंद होनी चाहिए.
सपा नेता स्वामी प्रसाद यहीं नहीं रुके, उन्होंने मानस की चौपाई ढोल, गंवार, शूद्र, पशु नारी… वाली चौपाई का जिक्र करते हुए पंडों-पुजारियों पर भी जमकर हमला बोला. वहीं गीता प्रेस गोरखपुर पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने सवाल उठाते ही ताड़ना का अर्थ शिक्षा बताते हुए हजारों प्रतियां छाप डाली गई. जबकि पुरानी प्रतियों में ताड़ना मतलब प्रताड़ना ही लिखा हुआ है. स्वामी प्रसाद ने कहा कि जब पुरानी प्रतियों में ऐसा नहीं है तो नई प्रतियों में ताड़ना का अर्थ शिक्षा बताने का अधिकार आखिर गीता प्रेस गोरखपुर को किसने दे दिया.
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने संबोधन में सीएम योगी पर भी हमला बोला. मानस की चौपाइयों और ताड़ना शब्द का अर्थ शिक्षा के जरिए सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट गोवंश आश्रम स्थलों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ताड़ना शब्द का अर्थ शिक्षा ही मान लिया जाए तो योगी सरकार को इंसानी पाठशाला की तरह, गौशाला की जगह जानवरों की भी पाठशाला खोल दिया जाना चाहिए. जहां बकरी, गदहा, खच्चर जैसे जानवर भी पढ़ सकें. स्वामी प्रसाद ने कहा कि अगर उनके द्वारा उठाए गए सवालों और रामचरितमानस की प्रश्नगत चौपाइयों को हटाने की मांग पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो इसका मतलब है कि 97 प्रतिशत आबादी को शिक्षा का अधिकार नहीं रह गया है. इसलिए योगी सरकार को चाहिए कि वह इंसानी पाठशाला की जगह, जानवरों के लिए पाठशाला खोल दे.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वह इतने ही बड़े संत हैं तो वह चीन को भस्म क्यों नहीं कर देते. साधू-संतों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब उनके जप-तप में शक्ति नहीं रह गई हैं. अब वह आतंकवादी और कसाई की भाषा बोल रहे हैं. काटने-मारने, हिंसा वाले बयान दे रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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