UP News: उत्तर प्रदेश में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने अवैध रूप से कॉल सेंटर का संचालन करके अमेरिका के नागरिकों के साथ कथित रूप से ठगी करने वाले संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है और मौके से पांच महिलाओं सहित 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच-पड़ताल में जुट गई है. इस सम्बंध में रविवार को एसटीएफ के सूत्रों ने जानकारी दी कि टीम ने अवैध रूप से कॉल सेंटर चलाने वाले गिरोह को गिरफ्तार किया है. शिकायत मिली थी कि अमेरिका के दो नागरिकों से इन लोगों ने ठगी की है. इसी मामले में शनिवार को गौतमबुद्ध नगर पुलिस की मदद से फेज-1 थाना क्षेत्र से ठग गिरोह की पांच महिला सदस्यों के साथ ही कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया है और अब इनसे पूछताछ की जा रही है. तो वहीं जानकारी सामने आई है कि गिरफ्तार लोगों के कब्जे से 40 से अधिक अमेरिकी नागरिकों के दस्तावेज और डेटा भी बरामद किए गए हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, इस सम्बंध में अमेरिकी नागरिक डेवन मिशेल ने ई-मेल के जरिये पुलिस से शिकायत की थी और बताया था कि नितिन श्रीवास्तव नाम का शख्स गैरकानूनी ढंग से कॉल सेंटर चला रहा है और इसके जरिए उनको कॉल किया गया और फिर उसके बैंक ऑफ अमेरिका के खाते से धनराशि हांगकांग के एचएसबीसी बैंक के खाते में स्थानांतरित की गयी है. इसी के बाद से गिरोह को दबोचने के लिए एसटीएफ की एक टीम गठित की गई थी. फिर जांच-पड़ताल शुरू की गई. इस दौरान एसटीएफ की टीम को जानकारी मिली कि नितिन श्रीवास्तव का साझेदार दिव्य शर्मा फेज-1 थाना क्षेत्र स्थित एक इमारत की तीसरी मंजिल पर फर्जी कॉल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी कर रहा है. इसके बाद स्थानीय पुलिस से इसकी जानकारी साझा कर उनकी मदद से दिव्य शर्मा समेत गिरोह के 16 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया.
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गिरफ्तार अभियुक्त दिव्य शर्मा (28) ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया है कि, 2012 में वह अपनी मां लीना शर्मा के साथ प्रॉपर्टी का काम करता था और इसी दौरान वह नितिन श्रीवास्तव के सम्पर्क में आया. उसने पुलिस को आगे जानकारी दी कि नितिन पहले से ही फर्जी कॉल सेंटर चलाता था और वह पांच साल पहले नितिन के गिरोह में शामिल हुआ था. दिव्य शर्मा ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका गिरोह अमेरिका के नागरिकों का डेटा जिसमें नाम, पता, फोन नम्बर एवं सोशल सिक्योरिटी नम्बर होता है, को खरीद लेता था और फिर ‘व्हाइट पेजेज’ वेबसाइट से इन मोबाइल नम्बरों के अमेरिकी सेवा प्रदाता का पता लगा लिया जाता है. उसने आगे बताया कि फिर अपने कॉल सेंटर से मोबाइल धारक को उसी सेवा प्रदाता की तरफ से फर्जी कॉल किया जाता था और धारक से उसका पिन नम्बर ले लिया जाता था. पुलिस पूछताछ में दिव्य शर्मा ने आगे बताया कि इसके बाद फिर इसी कॉल सेंटर से सेवा प्रदाता को धारक बनकर ये लोग फोन करते थे और फिर धारक का पिन नम्बर सेवा प्रदाता को देते थे व उससे नया फोन बुक करा लेते थे. फिर उसने फोन की डिलीवरी को लेकर जानकारी दी कि इस नये फोन को डिलीवर करने के लिए एक फर्जी एड्रेस से जाली ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट आदि बनाकर अपलोड कर लिया जाता था और और फिर दिये हुए पते पर फोन की डिलीवरी हो जाती थी. जिसे अमेरिका में उनसे जुड़े एजेन्ट प्राप्त कर लेते थे और उसके बदले अमेरिकी एजेन्ट उस धन को हांगकांग स्थित विभिन्न बैकों के खाते में जमा करा देते थे. दिव्य शर्मा ने अपने गिरोह से जुड़े लोगों के कार्यों की आगे जानकारी देते हुए बताया कि उसके बदले में ‘लोकल बिटक्वाइन पेज’ के जरिये कमीशन दिया जाता था. फिलहाल गिरफ्तार अभियुक्तों के विरूद्ध थाना फेज-1 में मुकदमा दर्ज कर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है. इसी के साथ दिव्य शर्मा से और पूछताछ की जा रही है. इसी के साथ उसके गिरोह में जुड़े अन्य लोगों का भी पता लगाया जा रहा है.
एसटीएफ की टीम ने दिव्य शर्मा उर्फ लवकुश के साथ ही, श्रेया, दीपू कुमारी, काजल मिश्रा, सोनी कुमारी, उपासना,तमन्ना, देवेन्द्र सिंह, तुषार, विपुल कुमार, वीरेश माथुर, उद्दयान, सुमित नेहरा, सुहैल रजा,शबी अहमद और अमित कुमार शामिल हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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