नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजधानी दिल्ली के मैदानगढ़ी के पास छतरपुर रोड और सार्क विश्वविद्यालय के बीच एक संपर्क सड़क के निर्माण के लिए 1,051 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि अदालत की ओर से ऐसा न करने का आदेश होने के बावजूद डीडीए ने सड़क निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई जारी रखी. अदालत ने डीडीए के उपाध्यक्ष से पूछा कि क्यों न अवमानना का मुकदमा चलाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा जिस गति से पेड़ों की कटाई की गई उससे हम हैरान हैं.
पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया में हमने पाया कि सड़क निर्माण के लिए पेड़ों को काटने की डीडीए की कार्रवाई अदालत के आदेश की अवमानना है. अदालत ने 8 फरवरी और 4 मार्च 2024 को इससे जुड़ा आदेश पारित किया था.
पीठ ने मामले को 8 मई को अगली सुनवाई करने की बात करते हुए कहा कि डीडीए के उपाध्यक्ष को नोटिस जारी किया जाए और कारण बताने के लिए कहा जाए कि अदालत के आदेश की अवमानना करने के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए?
शीर्ष अदालत ने कहा था कि डीडीए का यह कर्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा करने का प्रयास करे और पहले केवल उन्हीं पेड़ों को काटने का आदेश दे जो बिल्कुल अनिवार्य हो. उन्हें अपने स्तर पर सोचना चाहिए कि क्या पेड़ों को बचाने के लिए विकल्पों की तलाश की जा सकती है.
अदालत ने कहा कि वे जंगल के बीच से सड़क का निर्माण करना चाहते हैं. वन अधिनियम के तहत कोई अनुमति नहीं ली गई है. हम डीडीए को प्रस्ताव की फिर से जांच करने का निर्देश देते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि डीडीए द्वारा की जाने वाली कवायद यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि जब सार्वजनिक कार्य किया जा रहा हो, तो कम से कम संख्या में पेड़ काटे जाएं.
-भारत एक्सप्रेस
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