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सुप्रीम कोर्ट का दुबई की बैंक के CEO को निर्देश- शादी के बंधन से मुक्त होने पर पत्नी को दे 5 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में दुबई स्थित बैंक के सीईओ को निर्देश दिया है कि वह विवाह का बंधन से मुक्त होने पर एकमुश्त निपटारे के रूप में पत्नी को 5 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता दे. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति एकमुश्त निपटारे के तौर पर यह रकम पत्नी को दे.

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया कि गुजारा भत्ता देने का मकसद यह नही है कि पति को सजा दी जाए. हम चाहते हैं कि पत्नी और बच्चे सम्मनित तरीके से जीवन गुजार सके. यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्न बी की बेंच ने दिया है. कोर्ट ने पिता के अपने बच्चे के भरण-पोषण और देखभाल के दायित्व पर जोर दिया और पति को निर्देश दिया कि वह अपने वयस्क बेटे के भरण-पोषण और वित्तीय सुरक्षा के लिए 1 करोड़ रुपये का प्रावधान करने को कहा है.

शादी के 6 साल बाद अलग हुए थे पति-पत्नी

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी बेरोजगार है. वे घर का कामकाज करती है, उधर पति दुबई बैंक में मैनेजर है और हर महीने करीब 10-12 लाख रुपए कमाता है. इस केस में प्रवीण कुमार जैन और अंजू जैन शादी के 6 साल बाद करीब 2 दशक तक अलग रहे.

पति ने पत्नी पर आरोप लगाया था कि वे परिवार के साथ सही व्यवहार नही करती है. जबकि पत्नी का आरोप था कि पति का व्यवहार उनके लिए ठीक नहीं है. ऐसे में अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों का शादी का नैतिक दायित्व संभव नही है. दोबारा शादी का संबंध निभा नही सकते और यह शादी टूट चुकी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता ने 2010 से अपने डीमैट अकाउंट का विवरण दाखिल किया है, लेकिन यह पता चला है कि उस समय उसके पास लगभग पांच करोड़ रुपये का निवेश था.

पीठ ने यह भी कहा कि उसके पास क्रमशः लगभग दो करोड़, पांच करोड़ और दस करोड़ रुपये की तीन सम्पत्तियां है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर कोर्ट ने यह फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने पत्नी को अंतरिम भरण पोषण राशि 1.15 लाख रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1.45 लाख रुपये प्रति माह कर दी थी.

  • भारत एक्सप्रेस
गोपाल कृष्ण

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