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Anand Mohan Case: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई सही या गलत, इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट करने के लिए तैयार हो चुका है. आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है. देश की शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है और 8 तारीख का दिन सुनवाई के लिए तय कर दिया है. आनंद मोहन सिंह आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के दोषी हैं और इस मामले में वह उम्र कैद की सजा काट रहे थे.
बिहार में आनंद मोहन का वर्चस्व काफी रहा है. 90 के दशक में उनके दबदबे का आंकलन इसी बात से किया जा सकता है, कि वो सीधे-सीधे लालू यादव की सरकार को चुनौती देते थे.
पिछले दिनों नीतीश सरकार ने बिहार के कारा अधिनियम में बदलाव करके आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा कर दिया गया. इस बदलाव को लोगों ने राजनीतिक नजरिए से देखा और दावा किया गया कि कारा अधिनियम में यह बदलाव आनंद मोहन की रिहाई के लिए विशेष तौर पर किया गया.
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गौरतलब है कि जी कृष्णैया की हत्या तब की गई जब वो गोपालगंज के डीएम थे. मुजफ्फरपुर से गुजरते वक्त उनकी रास्ते में भीड़ ने हत्या की. बताया गया कि भीड़ ने आनंद मोहन के उकसावे के बाद उन पर हमला बोला था. इसी मामले में आनंद मोहन दोषी साबित हुए और उन्हें पहले फांसी की सजा मिली, जिसे बाद में हाई कोर्ट ने उम्र कैद की सजा में तब्दील कर दिया.
नीतीश सरकार के रिहाई के फैसले को जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने गलत बताया था. उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार जनता के सेवक हैं. उन्हें इस तरह की चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. उनके इस फैसले का जनता विरोधी करेगी.
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