Ladakh Tensions: चीन की पीएलए अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है. चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी घुसपैठ को स्थायी बनाने के लिए फिर से प्रयास कर रही है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ओर से हाल में ही सियाचिन ग्लेशियर और आक्साई चीन के बीच के इलाके में 200 से अधिक नए शेल्टर बनाए गए हैं. ये शेल्टर वहां पर मौजूद चीनी सैनिकों को सर्दी में तकलीफ न हो इसलिए बनाए गए हैं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, LAC की भारतीय अवधारणा के हिसाब से जैसे सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना प्री-फ्रेबिकेटेड शेल्टर लगाती है उसी तरह 15 से 18 किमी भीतर बैठे सैनिकों के लिए PLA ने प्री-फ्रेबिकेटेड शेल्टर बनाए हैं. इन शेल्टरों की खासियत यह होती है कि ये तापमान को नियंत्रित करते हैं और ये सैनिकों को कड़ाके की ठण्ड में भी डटे रहने की हिम्मत देते हैं. इनकी मदद के लिए चीन ने डेप्थ एरिया में सैन्य अड्डे बनाये हैं. इनके अधिकतर शिविर शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति मनोनीत होने के बाद बने हैं.
कितना पीछे हटी है चीन की फ़ौज
2020 में चीनी सेना ने लद्दाख के 5 इलाकों में घुसपैठ की थी, इन पांचों जगहों से चीन की फ़ौज वापस हो चुकी है लेकिन देपसांग और दमचौक में अभी भी घुसपैठ बरकरार है. इन दोनों इलाके में चीनी सेना की मौजूदगी की वजह से भारतीय फ़ौज पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है. भारतीय फ़ौज पैट्रोल प्वाइंट्स (PP) 10, 11, 12, 13, 14 नहीं पहुंच पा रही है.
भारत के लिए यह क्षेत्र इसलिए भी अहम है क्योंकि यह क्षेत्र चीन के कब्जे वाला आक्साई चीन और पाक अधिकृत कश्मीर को जोड़ता है. इसी क्षेत्र से होकर चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत पाकिस्तान में हाईवे बनाने पर काम कर रहा है.
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कितना महत्वपूर्ण है यह क्षेत्र
इस क्षेत्र पर पूर्व कमांडर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा का कहना है कि – देपसांग में चीनी फ़ौज की इस चाल का सीधा मतलब तो यही है कि वह इस इलाके से पीछे नहीं हटना चाहती है. वह इस कब्जे को अपना स्थायी बनाना चाहता है और भारतीय सेना की पेट्रोलिंग को रोककर हमारे दावे को कमजोर करना चाहता है. यह इलाका ऊंचाई पर होने के बावजूद काफी समतल है. वहां डीबीओ में भारत की हवाई पट्टी है. इस क्षेत्र में समतल स्थान पर टैंकों का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो सकता है. देपसांग लद्दाख का वो इलाका है, जिसके बाद कराकोरम रेंज की शुरुआत होती है.
–भारत एक्सप्रेस
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