एक मामले में पुलिस ने जिस आरोपी को भगौड़ा दिखाकर गिरफ्तार किया वहीं पुलिस चौकी में नियमित रूप से पानी सप्लाई कर रहा था. ऐसे में अदालत ने संगठित अपराध गिरोह के एक कथित सदस्य होने के आरोपी को जमानत प्रदान करते हुए कहा उनका मानना है कि आरोपी मकोका के तहत अपराधों के लिए दोषी नहीं है. पुलिस ने आरोपी सौरव भार्गव उर्फ भिंडा के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज किया था और गिरफ्तारी से पहले उसे भगोड़ा दिखाया गया था।
आरोपी के वकील ने दी यह दलील
आरोपी के वकील ने दलील दी कि वह व्यक्ति हरि नगर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाली एक चौकी में नियमित रूप से पानी की आपूर्ति कर रहा था, जिस अवधि के दौरान उसके फरार होने की सूचना मिली थी। तीस हजारी कोर्ट की विशेष न्यायाधीश शिवाली शर्मा ने तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद आरोपी को जमानत दे दी। उस पर सलमान त्यागी गिरोह का सदस्य होने का आरोप है, जो कथित तौर पर संगठित अपराध गिरोह चलाता है।
2019 में दर्ज हुआ था मामला
मामला हरि नगर थाने से जुड़ा है। सलमान त्यागी और भिंडा समेत उसके 22 साथियों के खिलाफ 13 अगस्त, 2019 को मकोका के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। दिल्ली पुलिस ने 24 अप्रैल, 2024 को पूरक आरोपपत्र दाखिल किया। भिंडा को 23 दिसंबर, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने कहा मैं यह मानने के लिए बाध्य हूं कि आरोपी सौरव भार्गव मकोका के तहत अपराधों के लिए दोषी नहीं है, जिसके लिए उसे आरोप पत्र दिया गया है। अदालत ने आदेश में कहा कि यह भी रिकॉर्ड पर है कि आरोपी 2018 के बाद किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं था।
बचाव पक्ष के वकील ने कही ये बात
बचाव पक्ष के वकील दीपक शर्मा ने तर्क दिया कि आरोपी को जांच अधिकारी ने बिना किसी ठोस सबूत के गलत तरीके से गिरफ्तार किया है कि वह किसी भी अपराध सिंडिकेट का सदस्य है। गिरफ्तारी से पहले उसे कभी भी जांच में शामिल होने के लिए पुलिस ने नहीं बुलाया। शर्मा ने तर्क दिया वास्तव में जिस अवधि में उसे फरार दिखाया गया है उस दौरान वह पुलिस स्टेशन हरि नगर के अधिकार क्षेत्र के तहत पुलिस चौकी हरि नगर में नियमित रूप से पानी की आपूर्ति कर रहा था और इस प्रकार वह हरि नगर के पुलिस अधिकारियों के ज्ञान में दिल्ली में बहुत अच्छी तरह से उपलब्ध था। फिर भी उसे जांच में शामिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया, न ही इस उद्देश्य के लिए उसे कोई नोटिस जारी किया गया।
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अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने जमानत याचिका का विरोध किया, जिन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। उन्होंने तर्क दिया कि मकोका के तहत एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी में आरोपी का नाम विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि आरोपी कई मामलों में शामिल है और उसने वित्तपोषकों, प्रॉपर्टी डीलरों और सट्टेबाजों को धमकाकर पैसे वसूले हैं।
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