Umesh Pal Murder Case: उमेश पाल हत्याकांड में बड़ी खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि हत्याकांड के मुख्य आरोपी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद को उत्तर प्रदेश से भगाने में बड़े बिल्डर आतिन जफर ने मदद की थी. जानकारी सामने आ रही है कि यह बिल्डर असद का करीबी दोस्त है. हत्याकांड के बाद उसी बिल्डर दोस्त ने अपनी फॉर्च्यूनर गाड़ी से असद को यूपी से बाहर जाने में मदद की. फिलहाल एसटीएफ उसे घेरने के लिए जाल बिछा रही है और संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी कर रही है.
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आतिन जफर 2018 में लखनऊ के आलमबाग इलाके के रियल एस्टेट कारोबारी को अगवा कर देवरिया जेल में ले जाकर मारपीट करने के मामले में नामजद जफर उल्ला का बेटा है. जफर उल्ला अतीक का खास बताया जाता है. एसटीएफ को पता चला है कि आतिन अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रापर्टी का काम देखता है. आतिन ने जमीन के धंधे में माफिया की काली कमाई का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है. उसने हिमालय प्रापर्टीज और बजाज हाईटेक नाम से कंपनियां बना रखी हैं. बताया जा रहा है कि इस मामले में तीन से पांच बिल्डरों ने मदद की है. इसमें प्रयागराज और लखनऊ के बिल्डर शामिल हैं, जो इन लोगों फंडिंग करते थे.
एसटीएफ की कई टीमों ने सर्विलांस की मदद से उसके मोबाइल की सीडीआर खंगालने के बाद कई लोगों को रडार पर लिया है. इसके अलावा जफर उल्ला और उसके खास लोगों के भी ठिकाने पता किए जा रहे हैं. बता दें कि 24 फरवरी को बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के अहम गवाह अधिवक्ता उमेश पाल की दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उमेश की पत्नी ने अतीक के साथ ही उसके पूरे कुनबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.
अतीक के बेहद करीबी गुर्गे रहे आबिद प्रधान को भी पुलिस तलाश रही है. पुलिस को शक है कि शाइस्ता को फरार करने में आबिद की बड़ी भूमिका हो सकती है. फरार होने के बाद कुछ दिन तक शाइस्ता मरियाडीह में ही थी. बाद में पुलिस के छापे के बाद वहां से दूसरे गांव चली गई. आबिद प्रधान वही शख्स है, जिसका नाम अतीक के गैंग चार्ट 2020 में पहले नंबर पर था. फरवरी 2023 की लिस्ट में पुलिस ने आबिद का नाम गैंग लिस्ट से निकाल दिया था. अब पुलिस आबिद को खोज रही है. फरार चल रही अतीक की बीवी शाइस्ता पर पुलिस ने 25 हजार की इनाम रखा है.
शाइस्ता के करीबियों से पूछताछ में पता चला कि उसने चकिया छोड़ने के बाद कुछ दिन मरियाडीह फिर हटवा आदि गांवों में पनाह ली थी. पुलिस ने गांव के कई लोगों को पकड़ा तब भनक लगी कि शाइस्ता को फरार कराने में आबिद प्रधान का भी हाथ है. इसके बाद पुलिस को एक और गांव के प्रधान का नाम पता चला. शाइस्ता उस गांव में भी कुछ दिन रही थी. जब पुलिस प्रतिदिन वहां दबिश देने लगी तो शाइस्ता वहां से हट गई. पुलिस अब आबिद प्रधान के साथ-साथ पड़ोसी गांव के प्रधान को भी ढूंढ रही है. फरवरी के दूसरे हफ्ते में अतीक का जो गैंग चार्ट जारी किया था, उसमें आबिद प्रधान का नाम हटा दिया गया था. नई लिस्ट में कम्मो जाबिर का भी नाम नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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