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UP Politics: मध्य प्रदेश में भाजपा के ‘यादव’ मुख्यमंत्री वाले दांव पर तिलमिलाई सपा, कहा- ये अखिलेश यादव का डर है

UP Politics: मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से सपा खेमे में खलबली का माहौल है. भाजपा ने ‘यादव’ सीएम वाला दांव चलकर यादव समाज के वोट बैंक पर अपना एकाधिकार समझने वाली सपा की टेंशन बढ़ा दी है. फिलहाल भाजपा द्वारा फेंके गए इस पासे पर सपा की ओर से तीखी प्रतिक्रिया की गई है और ये भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने ये सब अखिलेश यादव के डर से किया है.

सपा प्रवक्ता मनोज काका ने मोहन यादव के मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर कहा, “ये मात्र प्रतिकात्मक प्रतिनिधित्व है जो भाजपा कर रही है. अखिलेश यादव के पीडीए विमर्श से डरकर ये किया जा रहा है.” मनोज काका ने आगे कहा, “भाजपा को अगर किसी से या किसी के विचारधारा से डर है तो वह अखिलेश यादव की विचारधारा से डर है और इसी पीडीए के डर से बीजेपी ये प्रतिनिधित्व देने की बात कर रही है, लेकिन ये सब प्रतीकात्मक है, क्योंकि बीजेपी एक कॉरपोरेट कंपनी है, जिसका एक सीईओ है बाकि सभी लोग कर्मचारी हैं और सीईओ अपने मन में मुताबिक कर्मचारियों को लगाते हैं.”

भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी अपने नेताओं को प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है बल्कि अपने ही पिछड़ों के जनाधारी नेता है, उनको साइडलाइन कर रही है. आज शिवराज की क्या हैसियत रह गई.

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क्या मिलेगा मुस्लिमों को मिलेगा प्रतिनिधित्व- सपा नेता

सपा प्रवक्ता मनोज काका ने कहा कि आज यादव को प्रतिनिधित्व दिया हैं, लेकिन सवाल है कि क्या मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. वो भी हमारे देश का ही नागरिक है. पर भाजपा उन्हें दूसरी नजर से देखती है. मनोज काका ने दावा किया, “जब कभी समाजवादियों के नेतृत्व की सरकार बनेगी तो उसमें राजनीतिक, आर्थिक और शासकीय व्यवस्था में हम सबको प्रतिनिधित्व देंगे.”

भाजपा ने किया पलटवार

मोहन यादव के एमपी सीएम बनने पर सपा के बयान पर भाजपा नेता मनीष शुक्ला ने पलटवार किया है और कहा है कि मोहन यादव सीएम बनने के पहले विद्यार्थी परिषद और आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता हैं. उनकी पहचान किसी परिवार विशेष के नाते नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में काम करने के नाते है. मनीष शुक्ला ने कहा कि सपा और आरजेडी जैसे दल में परिवार के लोग ही नंबर एक की कुर्सी पर पहुंच सकते हैं, लेकिन भाजपा में सबको साथ लेकर चला जाता है. यहां पर जाति-धर्म, परिवारवाद नहीं काम को देखा जाता है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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