कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने शुक्रवार (29 नवंबर) को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की समीक्षा की. साथ ही उन्होंने इन चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर चिंता भी व्यक्त की.
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आंतरिक मतभेदों और EVM पर उठ रहे सवालों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावित वापसी की सराहना करते हुए, उन्होंने यह भी माना कि बाद के विधानसभा चुनावों में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले.
खड़गे ने कहा, 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस ने एक नई ऊर्जा के साथ वापसी की थी, लेकिन फिर तीन राज्यों के चुनावी नतीजे हमारी अपेक्षाओं के अनुसार नहीं रहे. इंडिया ब्लॉक ने चार में से दो राज्यों में सरकार बनाई, लेकिन हमारा प्रदर्शन उम्मीद से कम था. यह हमारे लिए एक चुनौती का संकेत है.
हमें इन चुनावी नतीजों से सीखा हुआ पाठ तुरंत संगठन के स्तर पर लागू करना होगा और अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे. ये नतीजे हमें एक संदेश दे रहे हैं. मैं हमेशा कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमारे लिए नुकसानदेह साबित हो रही है.
उन्होंने कहा, हम सभी को यह समझना होगा कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हमारी व्यक्तिगत जीत है और हार में हम सभी की हार है. पार्टी की ताकत ही हमारी ताकत है.
खड़गे ने आगे कहा, चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था, लेकिन केवल माहौल का होना जीत की गारंटी नहीं है. हमें माहौल को परिणामों में बदलने की क्षमता विकसित करनी होगी. हमें समयबद्ध और रणनीतिक तरीके से तैयारी करनी होगी. संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत बनाना होगा और मतदाता सूची से लेकर मतों की गिनती तक हर कदम पर सजग और सतर्क रहना होगा.
हमारी तैयारी शुरू से लेकर मतगणना तक इस तरह से होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और सिस्टम मुस्तैदी से काम करें. कई राज्यों में हमारे संगठन की स्थिति उम्मीद के मुताबिक नहीं है. हम चुनाव भले ही हार गए हों, लेकिन यह सही है कि बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक विषमता और अन्य ज्वलंत मुद्दे हमारे सामने हैं.
मीटींग में खड़गे ने ईवीएम के मुद्दे पर कहा, “मैं मानता हूं कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया पर संदेह उत्पन्न किया है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. फिर भी देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है. सवाल बार-बार उठ रहे हैं कि यह कर्तव्य कितनी सफलता से निभाया जा रहा है.
कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में जो परिणाम महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के पक्ष में आए थे, उसके बाद विधानसभा चुनाव का परिणाम राजनीति के जानकारों के लिए भी समझना मुश्किल है. जैसे परिणाम आए हैं, कोई भी गणित इसे सही साबित नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा, हमें चुनाव लड़ने के तरीकों में बदलाव लाने होंगे. समय बदल चुका है और चुनाव लड़ने के तरीके भी बदल गए हैं. हमें अपनी माइक्रो-कम्युनिकेशन रणनीति को विरोधियों से बेहतर बनाना होगा. हमें प्रचार और अफवाहों से लड़ने के तरीके भी ढूंढने होंगे.
पिछले परिणामों से हमें सीखने की जरूरत है, कमियों को सुधारना होगा और आत्मविश्वास के साथ कड़े फैसले लेने होंगे. हमारी बार-बार की हार से फासीवादी ताकतें मजबूत हो रही हैं और राज्य की संस्थाओं पर कब्जा जमा रही हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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