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सुपारी किलिंग से लेकर हाई प्रोफाइल मर्डर तक… ऐसे कंपाउंडर से गैंगस्टर बना संजीव जीवा

Gangster Sanjeev Jeeva: कुख्यात गैंगस्टर, माफिया संजीव जीवा की कोर्ट में पेशी के दौरान हत्या कर दी गई. वकील के वेश में आए बदमाशों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया. हमलावरों की गोलियों से एक पुलिस जवान और एक बच्ची भी घायल हो गई है. एक कंपाउंडर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले संजीव जीवा ने आखिरकार खुद को अंडरवर्ल्ड से जोड़ लिया. वो मुजफ्फरनगर का कुख्यात अपराधी था. शुरूआती दिनों में वो एक दवाखाने में कंपाउडर की नौकरी करता था. नौकरी के समय ही इसने दवाखाना के संचालक को अगवा कर लिया था. जीवा को मुन्ना बजरंगी का करीबी सहयोगी भी कहा जाता था. मुन्ना 2018 से बागपत जेल में सजा काट रहा है. बता दें कि गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में भी आरोपी था.

कृष्णानंद राय की हत्या मामले में हुई थी गिरफ्तारी

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले जीवा को 2006 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और यूपी के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था. जीवा और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विजय सिंह को द्विवेदी की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. जीवा पर चार और हत्याओं का केस चल रहा है. संजीव जीवा पर सुपारी किलिंग का आरोप लगता रहा है.

कृष्णानंद राय की हत्या कैसे हुई थी?

तारीख थी 29 नवंबर 2005. गाजीपुर के बसनियां गांव में एके-47 से अंधाधुंध गोलियां बरसाकर तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या की गई . कहा जाता है कि शूटरों में मुख्य रूप से अताउर रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर, संजीव जीवा उर्फ माहेश्वरी, मुन्ना बजरंगी, राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय विश्वास नेपाली और रिंकू तिवारी शामिल थे.

हालांकि इस मामले में 2005 में कोर्ट ने बरी कर दिया. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे.  इनमें से 17 मामलों में वह बरी हो चुका था. जेल से ही गैंग चलाने के आरोप जीवा पर लगते रहे.

ऐसे हुई जुर्म की दुनिया में एंट्री

बता दें कि साल 1990 में संजीव मुजफ्फरनगर के एक दवाखाने में काम करता था. कहा जाता है उनदिनों दवाखाना के मालिक ने जीवा को कई दिनों से फंसे पैसे वापस लाने को कहा. जीवा पैसे लेकर आ गया. इसके बाद उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा. धीरे-धीरे उसके बड़े-बड़े बदमाशों से संबंध हो गए. बाद में मुख्तार के करीब भी आ गया. कृष्मानंद हत्याकांड में नाम सामने आया था. हत्याकांड में वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, जबकि कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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