भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने जजों की अपॉइंटमेंट के लिए बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा है कि सरकार कॉलेजियम के फैसलों पर तुरंत विचार करके फैसला ले. कॉलेजियम की सिफारिशों को समय सीमा के भीतर वापस भेजा जाना चाहिए.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनका टेन्योर बड़ा होता तो शायद मुकदमों की पेडेंसी कम हो जाती. हालांकि, जितना उनसे बन पाया उन्होंने किया.
छावला रेप मर्डर फैसले पर जवाब
बहुचर्चित छावला रेप एंड मर्डर मामले में भी पूर्व सीजेआई ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि आपके सामने जो फैक्ट आता है उस पर विचार किया जाता है. जो फैक्ट्स सामने थे, वो परिस्थितिजन्य साक्ष्य थे. इसमें हमें क्लारिटी नहीं मिल रही थी. मृत्युदंड तब दिया जाता है, जब सबूत ठोस मिले.
इस बाबत महिला की नियुक्ति के संदर्भ में भी उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा आएगा जब ज्यूडीशियरी मे महिलाएं ज्यादा हो जाएंगी।
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