आज से पितृ पक्ष शुरू, जानिए हिंदू धर्म में क्या है इसका महत्व

नई दिल्ली-सनातन धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है. साल में कुछ ऐसे दिन जिस दौरान हम अपने दिवंगत पितरों को याद करते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए दान, तर्पण, पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद हमारे जीवन पर सदैव बना रहे इसकी कामना भी करते हैं. पितृपक्ष 16 दिनों का होता हैं और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. वैसे तो श्राद्ध 15 दिन के होते हैं लेकिन इस साल अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 16 दिन के हैं. ऐसा संयोग करीब 12 साल बाद बना है. इस बीच 17 सितंबर ऐसी तारीख होगी, जब कोई श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि नहीं होगा. हिंदू धर्मावलंबी पित्र पक्ष में कोई शुभ कार्य नहीं होते.

पितृपक्ष का महत्व

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार 16 दिनों तक चलने वाला यह पितृ पक्ष पूरी तरह से हमारे पितरों को समर्पित होता है. इस दौरान हम उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, पूजा करते हैं.मंदिर के पुजारियों को दान के तौर पर कुछ देते हैं. इस दौरान विशेष तौर पर कौवों को भोजन कराया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि कौवों के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंच जाता है. इसके अलावा बहुत से लोग ऐसा भी मानते हैं कि पितृपक्ष में हमारे पितृ ही कौवों के रूप में पृथ्वी पर आते हैं इसीलिए इस दौरान भूल से भी भी इस दौरान उनका अनादर नहीं करना चाहिए और उन्हें हमेशा ताज़े बने भोजन का पहला हिस्सा देना चाहिए.

श्राद्ध पक्ष में कब किस दिन होगा किसका श्राद्ध

10 सितंबर –  जिन लोगों की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो, उनका श्राद्ध अश्विन कृष्‍ण मास की प्रतिपदा को किया जाता है.

11 सितंबर –  जिन लोगों की मृत्‍यु किसी भी द्वितिया तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा.

12 सितंबर –  जिन लोगों की मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई है, उसका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा.

13 सितंबर –  जिनका लोगों का देहांत चतुर्थी तिथि को हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा.

14 सितंबर –  ऐसे जातक जिनका विवाह नहीं हुआ था और जिनका निधन पंचमी तिथि के दिन हुआ. उनका श्राद्ध इस दिन होगा. इस दिन को कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहते हैं.

15 सितंबर –  जिन लोगों की मृत्यु षष्ठी तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध षष्ठी तिथि को किया जाता है.

16 सितंबर –  सप्तमी तिथि को जिनका निधन हुआ हो उनका इस दिन श्राद्ध होगा.

17 सितंबर – इस दिन कोई श्राद्ध नहीं होगा.

18 सितंबर –  अष्टमी तिथि पर जिनकी मृत्यु हुई हो उनका इस दिन श्राद्ध किया जाएगा.

19 सितंबर –  सुहागिन महिलाओं, माताओं का श्राद्ध नवमी तिथि के दिन करना उत्तम माना जाता है. इसलिए इसे मातृनवमी श्राद्ध भी कहते हैं.

20 सितंबर –  जिन लोगों का देहांत दशमी तिथि के दिन हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन होगा.

21 सितंबर –  एकादशी तिथि पर मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है.

22 सितंबर –  द्वादशी के दिन जिन लोगों की मृत्यु हुई हो या ऐसे लोग जिनकी मृत्‍यु की तिथि ज्ञात नहीं है, ऐसे लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जा सकता है.

23 सितंबर –  त्रयोदशी के दिन केवल मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है.

24 सितंबर –  जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना, बीमारी या आत्‍महत्‍या के कारण होती है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है. कह सकते हैं कि अकाल मृत्‍यु प्राप्‍त लोगों का श्राद्ध इसी दिन होता है चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि पर हुई हो.

25 सितंबर –  सर्व पिृत श्राद्ध- इस दिन श्राद्ध-तर्पण जरूर करें ताकि जिन भी पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं है, उन सभी के लिए अनुष्‍ठान करें.

 

-भारत एक्सप्रेस

 

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