दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और अन्य बीजेपी विधायकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान वित्त विभाग का प्रभार संभाल रही मुख्यमंत्री आतिशी ने शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त से संबंधित कैग की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के लिए उपराज्यपाल को भेज दी है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) को यह जानकारी दी.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थाई वकील ने स्पष्ट किया कि उनके पास इस बारे में औपचारिक लिखित निर्देश नहीं हैं और उन्होंने मामले में हुए घटनाक्रम को रिकॉर्ड में रखने के लिए समय मांगा. वहीं दिल्ली सरकार की और से पेश वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने कहा मेरे पास मौखिक निर्देश हैं कि वित्त मंत्री (दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी) ने फाइलें एलजी को भेज दी हैं. लेकिन मैं तब तक कोई बयान नहीं दूंगा जब तक मुझे उनसे लिखित में नहीं मिल जाता.
उपराज्यपाल के वकील ने कहा कि विधानसभा के समक्ष रखने के लिए 11 दिसंबर की रात को एलजी कार्यालय को 10 फाइलें प्राप्त हुईं. अदालत ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के वकीलों को बाद के घटनाक्रम पर अपने हलफनामे दाखिल करने के लिए समय दिया है. 16 दिसंबर को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. विधानसभा का सत्र 4 दिसंबर को खत्म हो गया था.
याचिका दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने दायर की है. उन्होंने तर्क दिया है कि सरकार प्रदूषण और शराब जैसे विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण नियंत्रक और कैग की रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष शीघ्र रखने में विफल होकर अपने वैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन कर रही है.
याचिका में दावा किया गया है कि 2017-2018 से 2021-2022 तक कि कैग रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित है. उपराज्यपाल के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दस्तावेज विधानसभा में पेश करने के लिए उनके पास नहीं भेजे गए है, आतिशी के पास वित्त विभाग भी है.
वकील नीरज और सत्य रंजन स्वैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व में भाजपा विधायकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नही की गई. याचिका में कहा गया है कि हम जानकारी को जानबूझकर दबाना न केवल लोकतांत्रिक सिद्धांतो का उल्लंघन है बल्कि सरकारी कार्रवाई और व्यय की उचित जांच को भी रोकता है, जिससे सरकार के वित्तीय स्वामित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते है.
इस साल 30 अगस्त को याचिकाकर्ता विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति को कम्युनिकेशन भेजकर उनसे रिपोर्टों के दमन पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया था, यह कहते हुए कि सीएजी संवैधानिक तंत्र का उल्लंघन कर रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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