POCSO Act: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सा अधीक्षक से कहा है कि यौन उत्पीड़न से पीड़ित बच्चों की पहचान किसी भी तरह से उजागर नहीं किया जाए. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने यह निर्देश एक पाक्सो मामले की सुनवाई करते हुए दिया.
न्यायमूर्ति ने इसके साथ ही एक बच्चे के यौन उत्पीड़न के दोषी की जेल की सजा को भी कम कर दिया और कहा कि अपराध का केवल प्रयास किया गया था. उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी पीड़ित बच्चे की पहचान की रक्षा करने में विफल रहा है. वह चिकित्सीय जांच सहित किसी भी तरीके से पीड़ित की पहचान की रक्षा करने में विफल रहा.
न्यायमूर्ति ने जांच अधिकारी की विफलता पर कड़ा रूख अपनाते हुए अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में किसी तरह से कानून का ऐसा कोई उल्लंघन न हो. न्यायमूर्ति ने कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह के बच्चे की पहचान को उजागर करने पर प्रतिबंध है.
न्यायमूर्ति ने अपने आदेश की एक प्रति पुलिस आयुक्त और चिकित्सा अधीक्षक, एम्स को भेजने का निर्देश दिया, जिससे इसको लेकर उचित दिशानिर्देश जारी किया जा सके. साथ ही अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा. इस मामले में दोषी को वर्ष 2021 में 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने उसे पॉक्सो की धारा 18 के तहत दोषी ठहराते हुए पांच हजार रुपए जुर्माने के साथ 10 साल की जेल की सजा कर दी.
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-भारत एक्सप्रेस
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