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DNA से पितृत्व साबित होता है, बलात्कार नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार मामले में शख्स को किया बरी

डीएनए को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि डीएनए से केवल पितृत्व साबित होता हैं, न कि उससे आपसी सहमति से संबंध बनाया जाना साबित होता है. कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए बलात्कार के आरोप में 10 साल की सजा काट रहे व्यक्ति को बरी कर दिया है.

जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट भले ही यह साबित हो गया हो कि महिला की कोख से जन्मे शिशु का जैविक पिता आरोपी ही है, लेकिन गर्भावस्था अकेले बलात्कार का अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है. बलात्कार तभी साबित हो सकता है कि जब यह साबित हो जाए कि संबंध सहमति के बिना बनाया गया था. डीएनए बलात्कार होने की बात साबित नहीं कर सकता है.

IPC धारा 376 और सहमति का महत्व

उन्होंने कहा कि आईपीसी की धारा 376 बिना सहमति के संबंध बनाने पर आधारित है. लेकिन घटना से जुड़ीं परिस्थितियों ने अभियोजन पक्ष के मामले को अत्यधिक असम्भाव्य बना दिया है. जस्टिस महाजन ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया कि बिना किसी स्पष्टीकरण के देरी से दर्ज की गई प्राथमिकी सामाजिक दबाव का नतीजा हो सकता है.

इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि आरोप सहमति से बने संबंध को बलात्कार के रूप में स्थापित करने के लिए लगाए गए थे, जिससे आरोप लगाने वाली महिला और उसके परिवार को समाज के तानों का सामना न करना पड़े. इस दशा में संदेह का लाभ याचिकाकर्ता को मिलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कानून बेशक केवल चुप्पी को सहमति नहीं मानता है. लेकिन यह उचित संदेह से परे सबूतों के अभाव में दोषी भी नहीं ठहराता है. इस मामले में संदेह बना हुआ है. यह अटकलों के कारण नहीं, बल्कि सबूत के अभाव में. कोर्ट ने कहा कि मुकदमे के दौरान न सिर्फ महिला में बयानों में विरोधाभास था, बल्कि बलात्कार की पुष्टि के लिए चिकित्सा और फोरेंसिक साक्ष्य भी नहीं मिले.

मेडिकल और फोरेंसिक साक्ष्यों का अभाव

महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पड़ोस में रहने वाले युवक ने लूडो खेलने के बहाने उसे अपने घर बुलाकर कई बार उससे बलात्कार किया. आरोपी ने आखिरी बार 2017 के अक्टूबर या नवंबर महीने में उससे बलात्कार किया था. बाद में उसे पता चला कि वह गर्भवती है.

जनवरी 2018 में युवक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और दिसंबर 2022 में अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी. युवक ने अपनी सजा को इस आधार पर चुनौती दी कि उसने महिला की सहमति से उसके साथ संबंध बनाए थे.

ये भी पढ़ें: ED Raid: आयुष्मान भारत स्कीम घोटाला मामले में ईडी का बड़ा एक्शन, रांची सहित 21 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी

-भारत एक्सप्रेस 

गोपाल कृष्ण

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