सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी से कहा है कि कूड़ा प्रबंधन 2016 के नियम 4 के अंतर्गत कचरा उत्पन्न करने वालों के कर्तव्यों के बारे में जन जागरूकता अभियान शुरू करने को कहा है. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि यह अभियान सभी प्रकार के मीडिया के माध्यम से किया जाए.
कोर्ट ने कहा कि हम एमसीडी को निर्देश देते है कि वह 2016 के नियम 4 के अंतर्गत विभिन्न हितधारकों के कर्तव्यों के बारे में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू किया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी 311 ऐप के माध्यम से उपलब्ध शिकायत निवारण तंत्र का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का भी निर्देश दिया है, जहां नागरिक नियम 4 के उल्लंघन की फोटो अपलोड कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
2016 के नियम 4 में कचरा उत्पन्न करने वालों की जिम्मेदारियां तय की गई है. जिनमें निवासी, स्ट्रीट वेंडर, गेटेड कम्युनिटी, मार्केट एसोसिएशन और 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाले संस्थान शामिल है. यह नियम कचरे के जैविक, अजैविक और घरेलू खतरनाक कचरे में पृथक्करण करने, निर्माण और बागवानी से जुड़े कचरे के उचित निस्तारण, तथा ठोस कचरे के अवैध रूप से फेंकने, जलाने या गाड़ने से रोकने की अनिवार्यता को स्पष्ट करता है. इसके अंतर्गत शुल्क का भुगतान करना और अन्य निर्धारित जिम्मेदारियों का पालन करना भी आवश्यक है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि कूड़ा प्रबंधन 2016 के नियमों का पालन न होने से देश के कई शहर प्रभावित हो रहे है. पिछली सुनवाई में एमिकस क्यूरी की ओर से दी गई रिपोर्ट को देखने के बाद कोर्ट ने कहा था कि अभी भी हर दिन दिल्ली में 3000 टन से ज्यादा ठोस कचरा गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल में डाला जा रहा है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का पालन नही हो रहा है. इस स्थिति को स्वीकार नही किया जा सकता. अगर ऐसा ही रहा तो दिल्ली में विकास से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ेगी ताकि ठोस कचरा में कमी आ सके.
बता दें कि 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लैंडफिल साइटों पर अनियंत्रित कचरा जमा होने, निर्माण से संबंधित कचरे और कचरा भंडारण क्षेत्रों में आग लगने की संभावना पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को 2016 के नियमों को लागू करने पर चर्चा करने के लिए एमसीडी सहित संबंधित हितधारकों के साथ बैठक बुलाने का निर्देश दिया था.
इससे पहले सुनवाई में कोर्ट ने एमसीडी की इस दुखद स्थिति पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि राजधानी में प्रतिदिन 11000 टन से अधिक ठोस कचरा उत्पन्न होता है. जबकि प्रसंस्करण संयंत्रों की दैनिक.क्षमता केवल 8073 टन है. एमसीडी के हलफनामे का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11000 टन कचरे से निपटने के लिए 2027 तक उपचार सुविधाएं बनाने की संभावना भी नही है.
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-भारत एक्सप्रेस
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