अदिति नंदन-एक ऐसा बिहारी युवा जो बड़े-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में करियर बनाने के अवसरों को छोड़, दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्चशिक्षा ग्रहण करने के बाद वापस अपने बदहाल और जर्जर राज्य बिहार आने के बारे में सोचता है. वह बिहार आता भी है और अपनी कुशलता से बिहार की बेहतरी के लिये समयानुसार कई संस्थाएं एवं कंपनियां शुरू करता है. बिहार के बारे में हसीन सपने देखने वाले एक प्रगतिशील और उदार युवा अदिति नंदन रिसर्चर और सफल उधमी भी हैं. अदिति नंदन ने अपना करियर एडवरटाइजिंग और मार्केटिंग से शुरू किया ताकि बदहाल बिहार की सूरत को कुछ तो बदला जाए.
अदिति ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर बिहार टूरिज्म के लिए काम करना शुरू किया, क्योंकि ये एक ऐसा क्षेत्र था जिसमें बिहार के सन्दर्भ में अभी तक संतोषजनक काम नहीं हुआ था. इसमे रोजगार और विकास की असीम संभावनाएं दिखीं. इसके लिए इन्होंने बिहार के पर्यटक स्थलों को देखने और समझने के लिए बिहार घुमना शुरू किया. बिहार में टूरिज्म को समझने के लिए इन्हें कई साल तक यात्रा करनी पड़ी. इस क्रम में ये बिहार के सारे जिले घूमे और वहां पहले से चर्चित जगह गए. साथ ही ऐसी जगहों के बारे में भी जानकारियां जुटाईं जिनके बारे में बिहार के लोगों को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी. ये जानकारियां बिहार टूरिज्म के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं और इससे बिहार टूरिज्म की तस्वीर बदल सकती है.
2012 में अदिति नंदन को बिहार सरकार द्वारा कार्य करने का न्योता टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. इनके कार्यों को सरकार और संस्थाओं द्वारा प्रोत्साहन इन्हें और अच्छा करने को प्रेरित करता रहा. अभी तक इनके पब्लिकेशन से 24 किताबें आ चुकी हैं. बिहार टूरिज्म के लिए किए इनके रिसर्च की सहायता लेते हुए सरकार ने टूरिज्म में कुछ नई पहल की. अदिति नंदन के एक्सपर्ट ओपिनियन को बिहार टूरिज्म ने आत्मसात किया. इन्होने वर्ष 2012 में बिहार ग्लोबल पार्टनरशिप समिट में “स्ट्रेटेजी फॉर टूरिज्म इन बिहार के पेपर को को प्रेजेंट किया. अदिति नंदन 2013 इंडिया जापान ग्लोबल पार्टनरशिप समिट में वक्ता थे. इनके कार्यों और लेखों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में स्थान मिलता रहा है.
अदिति नंदन और उनकी टीम ने बिहार के तीन जाने-पहचाने ब्रांड को खड़ा किया है, जिसमें अमात्य मीडिया, आर्रटज इंडिया (उद्योग विभाग द्वारा चिन्हित एवम वित्त प्रदत संस्था) और एक्सट्रीम रोडस मुख्य हैं. आखिरी के तीन-चार सालों में इन्होंने बिहार के 200 से ज्यादा रॉक शेल्टर पर गहन अध्ययन किया है. इन रॉक शेल्टर पर की गयी पेंटिंग पाषाण युग के समय की है, जो बिहार में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थित है.
ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव की बात करें तो, यह बिहार की तस्वीर बदलने के संकल्प के साथ अदिति नंदन और उनकी टीम द्वारा 4 बार दस्तक दे चुका है. ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव अदिति नंदन का ब्रेन चाइल्ड है जो बिहार को बदलने का माद्दा रखता है. 2021 में शुरू हुआ ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव अभी तक चार बार आयोजन हो चुका है, जिसमें 100 से ज्यादा वक्ता आ चुकें है और जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं. इनमें से कई वक्ता ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव द्वारा बुलाए जाने पर 20-25 साल बाद बिहार आए और इस दौरान भी बिहार के प्रति वही पुराना प्रेम नजर आया.
ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव का हिस्सा बनीं कई जानी-मानी हस्तियां
अभिषेक गांगुली (मैनेजिंग डायरेक्टर प्यूमा), कुमार नितेश (सीईओ रिलायंस फूट प्रिंट ), शशांक सिन्हा (सीईओ द्रूल्स ), मिली एश्वर्या (पब्लिशर पेंगुइन), मार्या शकील (जर्नलिस्ट), नीरज झा (ग्रुप प्रेसिडेंट बजाज), अविनाश आनंद (सीईओ कार्टलेन), कुंदन शाही (फाउंडर सीईओ, लीगल पे), शशांक (फाउंडर सीईओ,देहात), आशुतोष (फाउंडर सीईओ ,टेक्स्टबुक), राजेश कुमार (फिल्म एक्टर, आन्त्रोप्रेनर) समेत कई जानी-मानी हस्तियां शामिल रहीं.
-भारत एक्सप्रेस
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