हिंदू धर्म में कई परंपराएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा है कि सूर्यास्त के बाद पेड़-पौधों की पत्तियां और फूल आदि नहीं तोड़े जाते. इस परंपरा का पालन आज भी बड़े-बुजुर्ग और दादी-नानी द्वारा किया जाता है. हालांकि, इस परंपरा के पीछे केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. आइए जानते हैं इस परंपरा के धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों के बारे में.
विज्ञान के अनुसार भी शाम के समय पेड़-पौधों को न छूने की सलाह दी जाती है. इसका कारण यह है कि रात के समय पेड़-पौधे कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं. दिन के समय वे कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, लेकिन रात में उनका यह प्रक्रिया उलट जाती है. इसलिए रात में पेड़-पौधों के पास सोना, इन्हें छूना या तोड़ना मना किया जाता है, क्योंकि इससे शरीर में अतिरिक्त कार्बन डाईऑक्साइड का प्रभाव हो सकता है.
सूर्यास्त के बाद पेड़-पौधों को न छूने और फूल-पत्ते न तोड़ने की परंपरा केवल एक धार्मिक मान्यता नहीं है, बल्कि इसमें वैज्ञानिक आधार भी है. यह परंपरा हमें न केवल पर्यावरण का सम्मान करना सिखाती है, बल्कि हमारे आस-पास के जीव-जंतुओं और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ाती है. इसलिए, दादी-नानी की बातों को समझते हुए हमें इन परंपराओं का पालन करना चाहिए.
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-भारत एक्सप्रेस
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