ओलंपिक

Paris Olympics 2024: अफगान B-Girl मनीजा तलाश को उनके केप पर राजनीतिक नारे के कारण पेरिस ओलंपिक से अयोग्य घोषित किया गया

पेरिस 2024 खेलों में शरणार्थी ओलंपिक टीम की सदस्य अफगान B-Girl (एक लड़की या महिला जो ब्रेकडांसर है) मनीजा तलाश को प्रतियोगिता के प्री-ब्रेकिंग रूटीन के दौरान अपने केप (बिना बाँहों का कंधों से लटकाने वाला ऊपरी वस्‍त्र) पर “Free Afghan Women” शब्द प्रदर्शित करने के बाद शुक्रवार को अयोग्य घोषित कर दिया गया.

क्या है शरणार्थी ओलंपिक टीम?

अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) शरणार्थी ओलंपिक टीम दुनिया भर में जबरन विस्थापित किये गये 100 मिलियन से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करती है. 15 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों द्वारा आयोजित और 12 खेलों में प्रतिस्पर्धा करने वाले 37 एथलीटों से बनी यह टीम दुनिया को दिखाती है कि शरणार्थी समाज के लिए एक समृद्धि हैं.

वर्ल्ड डांसस्पोर्ट फेडरेशन ने लगाया प्रतिबन्ध

स्पेन में रहने वाली तलाश ने एक शक्तिशाली संदेश के साथ मंच पर कदम रखा, हल्के नीले रंग का केप पहना, जिस पर बड़े सफेद अक्षरों में “Free Afghan Women” लिखा हुआ था. 21 वर्षीय इस लड़की के विरोध का उद्देश्य उसकी मातृभूमि में तालिबान शासन के तहत महिलाओं की दुर्दशा पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना था.

हालाँकि, नीदरलैंड की इंडिया सार्डजोई के खिलाफ उनकी दिनचर्या उस समय विवाद में घिर गयी जब ब्रेकिंग की शासी निकाय, वर्ल्ड डांसस्पोर्ट फेडरेशन ने खेल के मैदान पर राजनीतिक बयानों पर रोक लगाने वाले ओलंपिक नियमों का उल्लंघन करने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया.

वर्ल्ड डांसस्पोर्ट फेडरेशन ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा, “तलाश को अपनी पोशाक पर राजनीतिक नारा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य ठहराया गया है.”

अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं पर कड़े प्रतिबन्ध

अगस्त 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से अफगान महिलाओं को गंभीर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है. लड़कियों के हाई स्कूल बंद कर दिए गए हैं, महिलाओं को पुरुष अभिभावक के बिना यात्रा करने से रोक दिया गया है, और पार्क, जिम और अन्य सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच पर भारी प्रतिबंध लगा दिया गया है. अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने अफगान एथलीटों को शरणार्थी ओलंपिक टीम के तहत भाग लेने की अनुमति देते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि पेरिस खेलों के लिए किसी भी तालिबान अधिकारी को मान्यता नहीं दी गई है, जो शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ है.

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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